दिल लगाया.
वादे बहुत किये.
मोल चुकाया!
*
बाज,बाज है.
गिद्ध, ' दृष्टि' रखता.
चालबाज है.
*
अजगर भी.
बैठ-बैठ के खाते.
अफसर भी!
*
रंग-बिरंगी.
गलियाँ जीवन की.
बड़ी बेढंगी!
*
खून खौलता.
मुट्ठियाँ भींच जाती.
मुख बोलता.
*
अविनाश बागडे.
Comment
Ashutosh ji,rajesh kumari mam,Asha pandey oja mam,v Abhinav ji...sabka aabhar.
Bhai Ganesh ji BAGI,..
MERE HAIKU PAR SAKARATMK COMMENTS V HOUSALA AFAJAI HETU AABHAR HRIDAY SE.
ये हुई ना बात, हाईकू शिल्प पर बिलकुल खरी रचना , कथ्य भी उम्दा , सभी पक्तियां स्वतंत्र , वाह वाह वाह, गज़ब, बहुत ही खुबसूरत रचना, बधाई आपको ।
जीवन और जगत की विसंगतियों को उजागर कर उनपर कटाक्ष करते इन हाइकू के लिए हार्दिक साधुवाद अविनाश जी |
sabhi haaiku jabardast hain.
sashakt haiku
सौरभ जी ,
आदणीय अविनाश भाईजी, आपके हाइकुओं ने मुग्ध कर दिया. पाँच की पाँचों हाइकू कथ्य, शिल्प और प्रभाव हर तरह से उन्नत. किस एक की कहूँ !?
फिर भी, जिसने बहुत अधिक प्रभावित किया, वे हैं -
बाज,बाज है.
गिद्ध, ' दृष्टि' रखता.
चालबाज है. .........
ईशावास्य उपनिषद की अमृत पंक्ति का बरबस स्मरण हो आता है - तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा, मा गृद्धः कस्यस्विद्धनम् !!
*
अजगर भी.
बैठ-बैठ के खाते.
अफसर भी!
हा हा हा हा... मलूक बाबा के समकक्ष बैठने का विचार हो आया है क्या, सर ?
इन हाइकुओं के लिये बहुत-बहुत बधाई, आदरणीय अविनाश भाईजी.
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