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अक्सर सोचता हूँ
 पहले से दूसरे प्यार
 के बीच के अंतर को !
क्या कुछ है,
पहले प्यार जैसा !
नही शायद,
 दूसरा प्यार पूरक है 
पहले प्यार का !
या, छल है पहले है,
पहले प्यार के खोप्यार से
या, कृतग्यता ने पर,
सहारा देने का !!

© राणा नवीन 

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Comment by asha pandey ojha on February 22, 2012 at 12:52pm

 छलावे में सत्य खोजती है जिन्दगी ,, द्वीप तो नहीं धारा तो मिल ही जाती है .. जिंदगी को धकियाने को .. यही अंतर है दोनों प्रेम के बीच ..

कृपया ध्यान दे...

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