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“महँगाई महारानी”

यह ब्लॉग लिखकर मैने इन महाकवियो के महा कुंभ मे सिर्फ़ एक डुबकी लगाने की कोशिस की है.



यह एक ऐसी महारानी है जिनका नाम शायद ही किसी के मधुर वाणी का मोहताज हो.मतलब सॉफ है की द्देश् के हर मध्यम और निम्न वर्ग के लोग के मुह से अक्सर ही इनका नाम निकल ही जाती है, आख़िर महारानी जो है, भाई पूरे देश पर राज करती है यह महारानी.
पहले तो इनकी चर्चाए या नाम चुनाव के समय ही सुनने को मिलते थे, पर आजकल तो इनकी चर्चाए ………आप बस मे जा रहे हो तब भी, ट्रेन मे सफ़र कर रहे हो तब भी और यहा नही सुनाई दिया तो चौराहे के चाय दुकान पर तो अवश्य ही महँगाई चालीसा सुनने को मिल जाएगी.
हमारे देश मे एक कहावत है कि ……………………………………
“दाल रोटी खाएँगे और प्रभु का गुण गाएँगे “
इस महारानी साहेबा ने तो इस कहावत को ही बेकार कर दिया क्योकि इधर दाल
के दाम तो सचिन के शतक की बराबरी कर रही है .
अब बात करते है महारानी के मंत्री मंडल के बारे मे……
मेरा तो मानना है की सचिन के बैट और दाल
मे तो कोई अंतर ही नही है .एक तरफ तेंदुलकर अपनी बैट से शतक जमाते है तो दूसरी तरफ महँगाई महारानी की सरकार दाल के दामो मे ही शतक जमाने लगती है. लेकिन दोनो मे एक समानता ज़रूर है ……अब आप पूछेंगे की क्या?

तो वो यह है की – यह तभी होता है जब दोनो आती है .
वो मैदान मे आते है तो और ये सरकार मे आती है तो, हम बीच-बीच मे “महँगाई महारानी की जय“ को भी बोलते रहेंगे नही तो क्या पता कल कही हमारी महारानी साहेबा नाराज़ हो गयी तो सचिन का शतक पूरा हो ना हो लेकिन इधर चीनी ज़रूर सतक मार देगी और अभी तो त्योहारो का मौसम चल रहा है सारा मज़ा ही फीका पड़ जाएगा
और मेरा मानना तो ये है की हमारी खाने –पीने के चीज़ो को किसी की नज़र लग गयी है ,नही तो दाल,चीनी,तेल,हल्दी,गुड इत्यादि जैसे ही चीज़ो को क्यों आड़े हाथो लिया जाता .
मैने तो अपने एक रिश्तेदार के शादी मे हल्दी का अच्छा हुकूमत देखा ,..दूल्हे की माँ हल्दी पर हल्दी पोते जा रही है तो दूर से ही दूल्हे के पिता जी कहते है ----“अरे भाई हल्दी 40 से 140 की हो गयी है ज़रा कम-कम लगाओ”
भाई हद तो तब हो गयी जब महारानी सरकार के एक मंत्री जी ने यह कह दिया की –“अब ग़रीब लोग ज़्यादा खा रहे है, इसलिए महँगाई बढ़ रही है”
भाई मैं तो बड़ी इज़्ज़त करता हू महारानी जी का नही तो मैं भी पिपली लाइव
की तरह डायन नहीं कहता भला.
प्रेम से बोलिए महँगाई महारानी की जय .
RATNESH RAMAN PATHAK

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Comment by आशीष यादव on September 12, 2010 at 11:39pm
Jay ho ratnesh bhaiya. Ekdam hakikat dekhawat baani.
Comment by Subodh kumar on September 12, 2010 at 11:13pm
wah wah..bahut khoob ratnesh jee...maza aa gaya kya khoob likha hai aaj ke samaaj per !

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 11, 2010 at 9:14am
बहुत खूब रत्नेश भाई, आप तो परत परत उघाड़ दिये या यह कहे कि छिछालेदर कर दिये, बहुत ही सुंदर और व्यंगात्मक शैली है आपकी, जबरदस्त, बधाई आपको इस महंगाई भरे लेख के लिये, जोर से बोलिये महंगाई महारानी की जय य य य य ......

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