For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक शायर की अभिलाषा !!

आग हूँ कुछ पल दहक जाने की मोहलत चाहता हूँ ,

दर्द को पीकर बहक जाने की मोहलत चाहता हूँ.


फिर बिखर जाऊँगा एक दिन पिछले मौसम की तरह ,

फूल हूँ कुछ पल महक जाने की मोहलत चाहता हूँ,


पहले कीलें ठोकिये पहनाईए काँटों का ताज ,

फिर मैं सूली पर लटक जाने की मोहलत चाहता हूँ.


आपकी इन बूढ़ी आँखों का सहारा बन सकूं ,

इसलिए बाबा शहर जाने की मोहलत चाहता हूँ.


कतरा कतरा चूसकर हर शख्स मीठा हो गया ,

आपसे मालिक नमक पाने की मोहलत चाहता हूँ.


आपके पिंजड़े ने जिसको कर दिया था अधमरा ,

हूँ वही चिडिया चहक जाने की मोहलत चाहता हूँ .

Views: 654

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on October 24, 2011 at 6:30am
Apke sneh page shabd Diwali ki mithai hai Chubhla raha hoon adarniy Saurabh ji .sadar naman !

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 23, 2011 at 11:00pm

कहाँ छुपा रखा था इस शाहकार को?

बौलिंग में ’दूसरा’ .. आपका ये ’मिसरा’ .. वाह-वाह.. .!

बनारस में हफ़्ते भर रहा पर अफ़सोस समय नहीं निकाल पाया. खैर, गर्दन झुका-झुका कर देखा और देख लिया ..   :-)))))

Comment by Abhinav Arun on October 23, 2011 at 9:04pm
प्रिय श्री वीनस जी :-)) मैं आपकी बात से सहमत हूँ .. यहाँ कोई छोटा बड़ा नहीं बस ज़रा अदब की बात है वो बनी रहे तो पतंग doooooor तक उडती है और नज़र भी नहीं लगती .... हा हा हा !!!
Comment by वीनस केसरी on October 23, 2011 at 9:02pm

हा हा हा

नहीं मानेंगे

Comment by Abhinav Arun on October 23, 2011 at 9:01pm

जय हो ! (आदरणीय सर्वश्री) वीनस जी बागी जी और राकेश जी मन इस नेह से तर गया | ओ बी ओ साथिओं का यह सौहार्द अतुलनीय अमूल्य और अक्षुण  है | आप सभी को सादर सप्रेम दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !!

Comment by वीनस केसरी on October 23, 2011 at 8:39pm

ये परायेपन वाली बात है
 है कि नहीं :(

अपने घर में अपने परिवार के सदस्यों से कोई इस तरह बात करता है क्या ?
खास कर अपने छोटों से ?
ओ बी ओ परिवार है
सोच रहा हूँ किसी दिन बनारस पहुँच जाऊं....
बड़े भाई से मिलाने की अभिलाषा को पूरा कर लूं


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 23, 2011 at 8:21pm

आदरणीय श्री वीनस जी, अब क्या कहा जाय आदरणीय श्री अरुण जी को, वो सुधरने वाले नहीं, एक काम करते है ...क्यों ना आप ही  आदरणीय श्री को इग्नोर कर के चले/पढ़े/स्वीकार करें |

Comment by वीनस केसरी on October 23, 2011 at 8:17pm

कमेन्ट  पढ़ने वालों से निवेदन है कि अरुण जी के पिछले कमेन्ट पर से आदरणीय श्री को हटा कर पढ़े
अरुण जी को कह कह कर थक गया, मुझे जान गया हूँ कि अरुण जी तो मानने से रहे,,
तो अब इस निवेदन के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचा है

Comment by Abhinav Arun on October 23, 2011 at 7:16pm

आदरणीय श्री वीनस जी कुछ वर्ष पहले लिखी ग़ज़ल है शुरूआती दिनों में इसे काफी सराहा गया मुझे भी इसके कुछ शेर बेहद पसंद है आभार आपका , इसे अभी फेस बुक पे भी शेयर किया है | शुरू के दो मिसरे परिचय के रूप में मंचों पर इस्तेमाल करता रहा हूँ :-))  !!

Comment by वीनस केसरी on October 23, 2011 at 6:20pm

आपकी इन बूढ़ी आँखों का सहारा बन सकूं ,
इसलिए बाबा शहर जाने की मोहलत चाहता हूँ.

लाजवाब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"रामबली गुप्ता जी,शुभ प्रभात। कुण्डलिया छंद का आपका प्रयास कथ्य और शिल्प दोनों की दृष्टि से सराहनीय…"
41 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"बेटी (दोहे)****बेटी को  बेटी  रखो,  करके  इतना पुष्टभीतर पौरुष देखकर, डर जाये…"
3 hours ago
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार सुशील भाई जी"
23 hours ago
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार समर भाई साहब"
23 hours ago
रामबली गुप्ता commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"बढियाँ ग़ज़ल का प्रयास हुआ है भाई जी हार्दिक बधाई लीजिये।"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"दोहों पर बढियाँ प्रयास हुआ है भाई लक्ष्मण जी। बधाई लीजिये"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"गुण विषय को रेखांकित करते सभी सुंदर सुगढ़ दोहे हुए हैं भाई जी।हार्दिक बधाई लीजिये। ऐसों को अब क्या…"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदरणीय समर भाई साहब को समर्पित बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने भाई साहब।हार्दिक बधाई लीजिये।"
yesterday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आहा क्या कहने भाई जी बढ़ते संबंध विच्छेदों पर सभी दोहे सुगढ़ और सुंदर हुए हैं। बधाई लीजिये।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सादर अभिवादन।"
yesterday
Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
yesterday
Admin posted discussions
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service