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मर्दों की नामर्दी देख के, सच कहती मैं दंग हूँ .!khoob
आदरणीय सतीश जी सादर प्रणाम
दिल को झकझोरने वाली रचना के लिए बधाई.
भाव विह्वल करती रचना सतीश जी,बधाई
आदरणीय सतीश सर बहुत ही भाव पूर्ण रचना ,बधाई स्वीकार करें
कोई रंग चढ़े भी कैसे , मैं ऐसा बदरंग हूँ.
KYA BAAT HAI. SUNDAR BHAV, SIR JI, BADHAI.
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