For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देश की खातिर जान देते हैं हम हिन्दुस्तानी ,

कल की बाते हुई पुरानी ये तो दुनिया मानी ,
देश की खातिर जान देते हैं हम हिन्दुस्तानी ,
आलग थलग हम बटे हुए थे छोटे छोटे राजो में ,
दम थी अपनी अपनी अलग अलग आवाजो में ,
मगर न थी एकता जो सब हमपे की मनमानी ,
देश की खातिर जान देते हैं हम हिन्दुस्तानी ,

समझ में आई बीत चूका आये मुंगल और अंग्रेज ,
त्राहिमाम हम कर रहे थे भूलने लगे मतभेद ,
अलग अलग जो हम बटे थे आये एक धारा में ,
पूरा हिदुस्तान हमारा बुलंदी आई इस नारा में ,
मर मिटने पर तैयार हुई एक टोली मस्तानी ,
देश की खातिर जान देते हैं हम हिन्दुस्तानी ,

यारो इसको मत भूलो फिर वही ना काम करो ,
ये जो हमे मिली आजादी बीरो को सलाम करो ,
हर तरफ से लड़ने वाले ओ सपूत हिन्दुस्तानी ,
जिन्होंने निछावर की अपनी अमूल्य जवानी ,
उन बीरो की बात अब मानो मत करो सैतानी ,
देश की खातिर जान देते हैं हम हिन्दुस्तानी ,

Views: 407

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ramakant Puri on September 15, 2010 at 3:44pm
bahut badhia rachna
Comment by Rash Bihari Ravi on September 15, 2010 at 2:14pm
ok sir
Comment by Pankaj Trivedi on September 15, 2010 at 9:28am
श्री रविकुमार जी,
अब तो देश के प्रति ही जज्बां कहाँ दीखता है ! मानो यह इतिहास ही बन गया और इसे में राष्ट्रभाषा के प्रति सजगता ...? गुजरात की स्कूलों में हिन्दी को गौण विषय बनाया गया है, अब कौन पढेगा?

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 14, 2010 at 8:58pm
अच्छी रचना है गुरु जी, वर्तनी सम्बंधित त्रुटिया थोक में हैं जो रचना को कमतर कर रहे है , कृपया सुधारना चाहेंगे , धन्यवाद,
Comment by आशीष यादव on September 14, 2010 at 7:59pm
Desh ki ekta ko taakati bahut sundar geet hai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service