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बिना भंग की मस्ती छाई रे....   होली आई रे

आओ सारे लोग-लुगाई रे.....      होली आई रे

होली आई होली आई होली आई रे.....होली आई रे

 

 

सपा के सर पे ताज आज है

बसपा  देखो फिर उदास है

भा.ज.पा में लगी आग है  

कांग्रेस की तिकडम कोई काम न आई रे ......होली आई रे

कहाँ छिपे हो कृष्ण कन्हाई रे……………….होली आई रे

होली आई होली आई होली आई रे……….....होली आई रे

 

 

 

मस्ती की गागर में घोला

रंगा प्यार के रंग में चोला 

रास-रंग में मनुआ डोला

फागुन ने फिर ली अंगडाई रे...........होली आई रे

घर घर फिर से खुशियाँ लाइ. रे.......होली आई रे

होली आई होली आई होली आई रे…होली आई रे

डॉ बृजेश

 

 

 

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 8, 2012 at 9:58pm

सामयिक सुंदर चित्रण , बधाई रे होली आई रे आदरणीय ब्रजेश जी , शुभ होली 

कृपया ध्यान दे...

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