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     (प्रेमी की मनः स्थिति )

कोई  नहीं  है  चाहता  विछड़े  वो  यार  से,

दोनो का यदि मिलन हो विदाई भी प्यार से .

हो आत्मा में वास तो फिर प्रियतमा मिले ,

होता  चमन  गुलिस्तां  है  जैसे  बहार  से ..

*          *         *          *        *        

मुझको ये था यकीन कि है प्यार भी तुम्हे,

मेरे  बगैर  जीना  तो   दुश्वार  है  तुम्हे.

ये बंदिशें थीं प्यार की जो उलझने मिली,

ये सोंचना गलत था कि स्वीकार है तुम्हें..

*        *         *         *         * 

मैं जितना पास जाऊँ वो उतना ही दूर है,

वो मानती नहीं है  कि  वो  मेरी  हूर  है.

जीता हूँ आज भी मैं उसी को ही देखकर,

उसको नहीं पता मेरे  चेहरे  का  नूर  है...

*      *        *          *          *

मेरी  कहानी  का  कोई  किरदार  नहीं  है,

मैं  बेंचता   हूँ  प्यार   खरीदार  नहीं   है.

मृदु भी तो दफ़न हो गया  है उनके प्यार में,

क्या मेरा प्यार अब भी असरदार  नहीं  है..

*        *         *         *           *

                                                      शैलेन्द्र कुमार सिंह 'मृदु'

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Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 23, 2012 at 2:13pm

प्रदीप सर उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 23, 2012 at 2:12pm

वीनस सर जी हौसलाअफजाई के लिए कोटि कोटि धन्यवाद

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 23, 2012 at 1:29pm

मेरी  कहानी  का  कोई  किरदार  नहीं  है,

मैं  बेंचता   हूँ  प्यार   खरीदार  नहीं   है.

मृदु भी तो दफ़न हो गया  है उनके प्यार में,

क्या मेरा प्यार अब भी असरदार  नहीं  है..

bahut khoob bhav purn rachna. badhai

Comment by वीनस केसरी on March 23, 2012 at 1:29pm

बहुत सुन्दर मुक्तकों के लिए ढेर सारी दाद क़ुबूल करें

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on March 23, 2012 at 12:42pm

संदीप सर जी प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 23, 2012 at 12:26pm

मृदु जी,

आपकी चारों लघु कृतियों में कारुणिक भाव वास्तव में उभर कर सामने आये हैं| बधाई स्वीकार करें|

कृपया ध्यान दे...

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