(गणबद्ध) मोतिया दाम छंद
सूत्र = चार जगण (१६ मात्रा) यानि जगण-जगण-जगण-जगण (१२१ १२१ १२१ १२१)
************************************************************************************
दिखी जब देश विदेश अरीत.
दिखा शिशु भी हमको भयभीत .
तजें हम द्वैष बनें मनमीत.
लिखूँ कुछ काव्य अमोघ पुनीत..
.
चढ़ा जब द्रोह यहाँ परवान.
चला जब देश अलंग विवान.
दिखे चुप आज सुदेश दिवान.
दुखी मन खोज अनूप सिवान..
.
चली तब लेखन की असिधार.
बनी यह रीत अरीत अधार.
मिला कुइ अंत न और सुधार.
घिरी यह नाव पड़ी मझधार..
.
मिटी तहजीब मिटी हर रीत.
किया फिर क्यों हमने यह प्रीत.
थका लिख आज सुदेश कुरीत.
लिखे हमनें नित ही नवगीत..
.
-------------------------------------------------------------------------------
अरीत = कुप्रथा या कुरीति
अलंग = की ओर
विवान = अर्थी
सिवान = परिसीमा
Comment
आदरणीय बागी सर इस मंच पर आने के बाद जो सुखद अनुभव मुझे हुआ है उस के लिए मै निःशब्द हूँ , मै इस मंच का सदस्य होने पर गर्व महसूस करता हूँ जहाँ सहज भाव से आप लोगों से कुछ सीखने को मिलता है.उत्साह वर्धन के लिए ह्रदय से आभार
सादर
छंदों पर आपको काम करते हुए देखना सचमुच एक बहुत ही सुखद एहसास है, शैलेन्द्र जी आप जैसे नवांकुरों को पाकर यह मंच और भी समृद्ध हुआ है, बहुत ही खुबसूरत रचना , बधाई स्वीकार करें |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online