वाणी वंदना
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रसना पर अम्ब निवास करो,
माँ हंसवाहिनी नमन करूँ.
सेवक चरणों का बना रहूँ,
नित उठ बस तेरा ध्यान धरूँ.
छंदों का नवल स्वरुप लिखूँ,
लेखनी मातु रसधार बने.
हो प्रबल काव्य उर वास करो,
हर छंद मेरा असिधार बने.
मन का संताप मिटा करके,
भाषा का बोध करा दे माँ.
रख हाँथ शीश पर कृपामयी,
भव सागर पार करा दे माँ.
वीणा की मृदुल तान भर दे,
सपनों में नयी जान भर दे.
पद - कंज में पुष्प चढाऊं माँ,
कविता का अमिय ज्ञान भर दे.
Comment
आदरणीया राजेशकुमारी मैम प्रोत्साहन पर कोटि कोटि धन्यवाद,"
माँ सरस्वती की कृपा हमेशा आपके ऊपर बनी रहे बहुत सुन्दर वंदना लिखी है
आदरणीया महिमा जी प्रोत्साहन पर कोटि कोटि धन्यवाद, माँ शारदे की कृपा हम सब पर बनी रहे
सादर
वीणा की मृदुल तान भर दे,
सपनों में नयी जान भर दे.
पद - कंज में पुष्प चढाऊं माँ,
कविता का अमिय ज्ञान भर दे.
मृदु जी भाव पूर्ण अभिवयक्ति ....माँ शारदा का आशीर्वाद आपको मिल रहा है ..तभी तो नित उछइयो को छु रहे है...
बधाई आपको
आदरणीय प्रदीप सर सादर नमन, माँ की कृपा हम सब पर बनी रहे, स्नेह और साराहना के लिए ह्रदय से कोटि कोटि धन्यवाद
ye prarthna to mujhe nitya karni chahiye. jai maa. krapa kar.
aapko badhai.
आदरणीय जवाहर सर सादर नमन,आपके स्नेह और साराहना के लिए ह्रदय से कोटि कोटि धन्यवाद
आदरणीय वाहिद सर सादर नमन,आपका स्नेह और आशीर्वाद मिला कोटि कोटि धन्यवाद
मन का संताप मिटा करके,
भाषा का बोध करा दे माँ.
रख हाँथ शीश पर कृपामयी,
भव सागर पार करा दे माँ.
बहुत ही सुन्दर कविता| माँ शारदे का असीम स्नेह आपको पहले ही प्राप्त है और मेरी दुआ है कि उनकी कृपा वर्षा आप पर दीर्घ कॉल तक होती रहे! माता ऐसा पुत्र पा कर अति प्रसन्न होंगी!
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