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वाणी वंदना

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रसना पर अम्ब निवास करो,

माँ हंसवाहिनी नमन करूँ.

सेवक चरणों का बना रहूँ,

नित उठ बस तेरा ध्यान धरूँ.

 

छंदों का नवल स्वरुप लिखूँ,

लेखनी मातु रसधार बने.

हो प्रबल काव्य उर वास करो,

हर छंद मेरा असिधार बने.

 

मन का संताप मिटा करके,

भाषा का बोध करा दे माँ.

रख हाँथ शीश पर कृपामयी,

भव सागर पार करा दे माँ.

 

वीणा की मृदुल तान भर दे,

सपनों में नयी जान भर दे.

पद - कंज में पुष्प चढाऊं माँ,

कविता का अमिय ज्ञान भर दे.

 

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Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 20, 2012 at 11:21am

आदरणीया राजेशकुमारी मैम प्रोत्साहन पर कोटि कोटि धन्यवाद,"


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 20, 2012 at 8:19am

माँ सरस्वती की कृपा हमेशा आपके ऊपर बनी रहे बहुत सुन्दर वंदना लिखी है 

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 19, 2012 at 11:32pm

आदरणीया महिमा जी प्रोत्साहन पर कोटि कोटि धन्यवाद, माँ शारदे की कृपा हम सब पर बनी रहे

                                                                   सादर

Comment by MAHIMA SHREE on April 19, 2012 at 11:01pm

वीणा की मृदुल तान भर दे,

सपनों में नयी जान भर दे.

पद - कंज में पुष्प चढाऊं माँ,

कविता का अमिय ज्ञान भर दे.

मृदु जी भाव पूर्ण अभिवयक्ति ....माँ शारदा का आशीर्वाद आपको मिल रहा है ..तभी तो नित उछइयो को छु रहे है...

बधाई आपको

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 10, 2012 at 12:24pm

आदरणीय प्रदीप सर सादर नमन, माँ की कृपा हम सब पर बनी रहे, स्नेह और साराहना के लिए ह्रदय से  कोटि कोटि धन्यवाद

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 10, 2012 at 11:58am

ye prarthna to mujhe nitya karni chahiye. jai maa. krapa kar. 

aapko badhai. 

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 9, 2012 at 9:15pm

आदरणीय जवाहर  सर सादर नमन,आपके  स्नेह और साराहना के लिए ह्रदय से  कोटि कोटि धन्यवाद

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 9, 2012 at 9:14pm

आदरणीय वाहिद सर सादर नमन,आपका स्नेह और आशीर्वाद मिला कोटि कोटि धन्यवाद

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 9, 2012 at 5:00am
प्रिय मृदु जी, माँ शारदे से प्रार्थना! वह भी कितनी मृदुल भाषा में!

मन का संताप मिटा करके,

भाषा का बोध करा दे माँ.

रख हाँथ शीश पर कृपामयी,

भव सागर पार करा दे माँ.

सबको मृदुल कंठ दे दो,
आपस में प्रेम बढ़ा दे माँ!
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 8, 2012 at 7:54pm

बहुत ही सुन्दर कविता| माँ शारदे का असीम स्नेह आपको पहले ही प्राप्त है और मेरी दुआ है कि उनकी कृपा वर्षा आप पर दीर्घ कॉल तक होती रहे! माता ऐसा पुत्र पा कर अति प्रसन्न होंगी!

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