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जनाब हिलाल अहमद "हिलाल" के 7 कत'आत

//मशविरा//
हरगिज़ ना करना चाहिए इन्सान को गुरूर
दनिश्वरी के जौम में हो जाते हैं कुसूर
मैंने तमाम उम्र किया है सफ़र मगर
अब तक ज़मीं पे चलने का आया नहीं श'ऊर

//वाबस्तगी//
निगाह मिलते ही तुझको सलाम करता हूँ
तेरी नज़र का बड़ा एहतराम करता हूँ ,
मेरी ज़ुबां तेरी गुफ्तार से है वाबस्ता,
ये कौन कहता है सबसे कलाम करता हूँ !

//बदकिस्मती//
वो है मेरा रफीक मैं उसका रकीब हूँ
दुनिया समझ रही मैं उसके करीब हूँ
चाहा था जिसने मुझको मैं उसका ना हो सका,
मैं बदनसीब हूँ मैं बड़ा बदनसीब हूँ !

//ज़ब्त//
जब से अना की आग में जलने लगा हूँ मैं
मानिंद-ए-मोम खुद ही पिघलने लगा हूँ मैं
मुमकिन है मेरे मुँह से निकल आए अब लहू.
आँसू समझ के हीरे निगलने लगा हूँ मैं !

//कोशिश//
तूने शब्-ए-विसाल को आने नहीं दिया,
मैंने भी इस मलाल को आने नहीं दिया,
रखा है खुद को दूर तेरी याद से बहुत,
दिल में तेरे ख्याल को आने नहीं दिया !

//जदीदियत//
ख्याल उठने से पहले ही सो गए होंगे,
कुछ अपने हाल-ए-तबाही पे रो गए होंगे,
जदीद ज़ेहन में मैदान-ए-कर्बला की तरह,
शहीद कितने ही अलफ़ाज़ हो गए होंगे !

//तवक्कुफ़//
क्यों कहू खुद से मै जुदा तुमको.
जब के अपना बना चुका तुमको !
तुम तसव्वुर में आ गए फ़ौरन,
जब भी चाहा के देखता तुमको !

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Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 22, 2010 at 11:06pm
जब से अना की आग में जलने लगा हूँ मैं
मानिंद-ए-मोम खुद ही पिघलने लगा हूँ मैं
मुमकिन है मेरे मुँह से निकल आए अब लहू.
आँसू समझ के हीरे निगलने लगा हूँ मैं !
वाह वाह , बहुत खूब , OBO परिवार ने तो आप के रूप मे हीरा पाया है, बहुत खूब कहते है आप, बधाई,
Comment by Subodh kumar on September 22, 2010 at 4:55pm
bahut khub yograj jee...ख्याल उठने से पहले ही सो गए होंगे,
कुछ अपने हाल-ए-तबाही पे रो गए होंगे,
जदीद ज़ेहन में मैदान-ए-कर्बला की तरह,
शहीद कितने ही अलफ़ाज़ हो गए होंगे !
sunder...maja aa gaya...itni sunder rachna keliye dhanyabaad aapko..

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