जहां सुन्दर परियां रहती हों
जहां निर्मल नदियाँ बहती हों
जहां दिलों कि खिड़की खुली-खुली
जहां सुगंध पवन में घुली- घुली
जहां खुशियाँ हंसती हो हरदम
चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम
जहां दरख़्त खड़े हों बड़े-बड़े
हर शाख पे झूले पड़े -पड़े
जहां संस्कृतियों का वास हो
जहां कुटिलता का ह्रास हो
कोई ऐसा तरु उगाये हम
चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम
जहां भ्रष्टाचार का नाम ना हो
जहां बेईमानी का काम ना हो
जहां तन- मन के कपडे उजलें हों
जहां स्वस्थ अशआर की ग़ज़लें हों
कोई निर्धन हों ना कोई गम
चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम
जहां भाईचारे की खाद डले
जहां माटी से सोना निकले
जहां श्रम का फल दिखाई दे
जहां कर्म संगीत सुनाई दे
आ ऐसी फसल उगाये हम
चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम
जहां अपराधो का डंक ना हों
जहां राजा हों कोई रंक ना हों
जहां पुष्प खिले कांटें ना खिले
जहां मीत मिले दुश्मन ना मिले
ऐसा गुलशन महकाएं हम
चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम
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Comment
नीलांश जी आपको कविता पसंद आई बहुत बहुत हार्दिक आभार
अरुण कुमार अभिनव जी आपकी टिपण्णी की तहे दिल से आभारी हूँ कविता आपको पसंद आई मेरी लेखनी सार्थक हुई
आदरणीया राजेश दी . सुंदर चित्र के साथ सुंदर दुनिया में ले जाती रचना के लिए हार्दिक बधाई आपको
गणेश लोहानी जी बहुत बहुत हार्दिक आभार
डा. सूर्या बाली जी बहुत बहुत हार्दिक आभार आपकी सकारात्मक शब्दों से मेरी लेखनी को बल मिला बहुत ख़ुशी हुई पढ़ कर पढने में थोडा देर हो गई बाहर गई थी
संदीप कुमार पटेल जी बहुत बहुत हार्दिक आभार
जहां दरख़्त खड़े हों बड़े-बड़े
हर शाख पे झूले पड़े -पड़े
जहां संस्कृतियों का वास हो
जहां कुटिलता का ह्रास हो
कोई ऐसा तरु उगाये हम
चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम
..bahut hi acchi kavita rajesh ji ,mantramugdh karti aur uddhesyasahit
ज्यादा कुछ नहीं लिख पाएंगे क्योंकि शब्द भी होने चाहिए वर्णन के लिए.... शब्दों में अवर्णित कविता है आपकी.... बधाई स्वीकार करे मोहतरमा.....
जहां श्रम का फल दिखाई दे
जहां कर्म संगीत सुनाई दे
आ ऐसी फसल उगाये हम
चल वहीँ पे नीड़ बनायें हम
सुन्दर सार्थक सकारात्मक सोच की रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश जी ! आपकी कल्पना मूर्त roop le yahi kaamna ham sabki hai |
जमीं पर स्वर्ग की कल्पना | बहुत सुन्दर रचना आदरनीय राजेश कुमारी जी | निम्न पंक्तियों के लिए विशेष बधाई |
जहां राजा हों कोई रंक ना हों
जहां पुष्प खिले कांटें ना खिले
जहां मीत मिले दुश्मन ना मिले
ऐसा गुलशन महकाएं हम
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