आज 31 मई विश्व तम्बाकू विरोधी दिवस पर एक विशेष रचना
सुट्टों ने सोखा जिस्म, सेहतमन्दगी गई
धुंए का शौक लग गया तो ज़िन्दगी गई
छुप छुप के पीना छोड़, खुल्लेआम पी रहे
माँ की लिहाज़, बाप से शरमिन्दगी गई
गुटखा चबाने वाले की पिचकारी गज़ब थी
धोयी बहुत दीवार, पर न गन्दगी गई
ज़र्दा चबा चबा के मुँह को सन्त कर दिया
अब स्वाद और मसालों की पसन्दगी गई
अलबेलाजी दिन रात खोहों खोहों खांसते
पूजा, हवन, नमाज़ गई, बन्दगी गई
जय हिन्द !
Comment
धन्यवाद......अशोक कुमार रक्ताले जी...आपने उम्दा विस्तार दिया
सम्मान्य बागी जी, आपकी सराहना और हौसला अफज़ाई तो ठीक है लेकिन 'राजाकार" ने तो महफ़िल लूट ली........गज़ब ढा दिया जी.,.,...मैंने कहा "बल्ले बल्ले" कर दिया ..हा हा हा "राजाकार धूम्र पान भूरापश्च स्वेत दंडिका"
मेरे ख्याल से ये आपने फ़िल्टर सिगरेट के लिए फ़रमाया होगा ....अब लगे हाथ ये भी बता दीजिये कि बुड्ढा छाप बीड़ी को इस दिव्यभाषा में क्या कहेंगे?
आपकी दाद सर आँखों पे हुज़ूर....बस आप देते रहिये....जय हो आपकी
अलबेला जी एक विषय को सन्दर्भ बना कर बहुत ही प्यारी ग़ज़ल कही है, यह ग़ज़ल मंच लुटने की मादा रखती है, आप सुना कर देखिएगा...तालियाँ न बजी तो कहियेगा और प्रस्तुति के बाद आपके लिए राजाकार धूम्र पान भूरापश्च श्वेत दंडिका अवश्य आपकी खिदमत में हाजिर :-)))))))))))
बहुत बहुत दाद स्वीकार कीजिये |
आदरणीय अलबेला जी,
ज़र्दा चबा चबा के मुँह को सन्त कर दिया
अब स्वाद और मसालों की पसन्दगी गई
और इस पंक्ति को विस्तार दूँ तो फिर अस्पतालों में बाकी की जिंदगी गयी. अंतर्राष्ट्रीय तम्बाकू निषेध दिवस पर आपकी सुन्दर रचना. बधाई.
aapka khoob khoob aabhaar Rekha Joshi ji,
aapki sarahna ka shukraguzar hoon.......
आपका हार्दिक आभार आशीष जी.........बहुत बहुत धन्यवाद
बेहतरीन गजल। हास्य का सम्पुट लिये बेहतर सीख दे रही है।
शानदार गजल पर मेरी भी बधाई स्वीकारें
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online