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दो साल पहले मैं बेरोज़गार था, बेरोज़गार था

फ़िल्म : सी आई डी
तर्ज़    : सौ साल पहले......

दो साल पहले मैं बेरोज़गार था, बेरोज़गार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा

दोस्तों-पड़ोसियों  का कल भी कर्ज़दार था, कल भी कर्ज़दार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा

हर साल कई जोड़ी चप्पल घिस जाती है
पर किरण रौशनी की कोई नज़र न आती है
बूढ़े बाप-माँ के लिए कल भी अन्धकार था, कल भी अन्धकार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
भूख का शिकार था और ग़म का गीतकार था, ग़म का गीतकार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा

फारम भरते भरते, ये हाथ थक चुके हैं
इस उम्र में ही सर के सब बाल  पक चुके हैं
नौकरी तो मिल जाती पर घूस से लाचार था, घूस से लाचार था,
आज भी हूँ  और कल भी रहूँगा
सिर्फ़ एक नौकरी का कल भी तलबगार था, कल भी तलबगार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा

जय हिन्द !
अलबेला खत्री 

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Comment

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Comment by Albela Khatri on June 7, 2012 at 8:58am

आपका हार्दिक धन्यवाद  अशोक कुमार रक्ताले जी.......

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 7, 2012 at 8:50am

अलबेला जी
         सादर, सुन्दर व्यंग रचना. बधाई.

Comment by Albela Khatri on June 4, 2012 at 10:56am

बहुत बहुत  धन्यवाद  बिश्वजीत यादव जी......सराहना के लिए शुक्रिया

Comment by Bishwajit yadav on June 3, 2012 at 11:02pm
क्या बात है अलबेला जी जय हो
Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 5:54pm

धन्यवाद  रेखा जी........

Comment by Rekha Joshi on June 3, 2012 at 5:51pm

Albela ji ,bahut badhiya haasya rachna ,badhai 

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 5:02pm

बहुत बहुत आभार आपका ....आपकी सराहना  से संबल मिला है

Comment by chandan rai on June 3, 2012 at 3:50pm
हर साल कई जोड़ी चप्पल घिस जाती है
पर किरण रौशनी की कोई नज़र न आती है
बूढ़े बाप-माँ के लिए कल भी अन्धकार था, कल भी अन्धकार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा

वाह ! कमाल का लिखा"
Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 5:34am

आपका  हास्य अभिनन्दन जी..............हा हा हा हा

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 5:31am

aabhaar sandip ji......

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