फ़िल्म : सी आई डी
तर्ज़ : सौ साल पहले......
दो साल पहले मैं बेरोज़गार था, बेरोज़गार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
दोस्तों-पड़ोसियों का कल भी कर्ज़दार था, कल भी कर्ज़दार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
हर साल कई जोड़ी चप्पल घिस जाती है
पर किरण रौशनी की कोई नज़र न आती है
बूढ़े बाप-माँ के लिए कल भी अन्धकार था, कल भी अन्धकार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
भूख का शिकार था और ग़म का गीतकार था, ग़म का गीतकार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
फारम भरते भरते, ये हाथ थक चुके हैं
इस उम्र में ही सर के सब बाल पक चुके हैं
नौकरी तो मिल जाती पर घूस से लाचार था, घूस से लाचार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
सिर्फ़ एक नौकरी का कल भी तलबगार था, कल भी तलबगार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
Comment
आपका हार्दिक धन्यवाद अशोक कुमार रक्ताले जी.......
अलबेला जी
सादर, सुन्दर व्यंग रचना. बधाई.
बहुत बहुत धन्यवाद बिश्वजीत यादव जी......सराहना के लिए शुक्रिया
धन्यवाद रेखा जी........
Albela ji ,bahut badhiya haasya rachna ,badhai
बहुत बहुत आभार आपका ....आपकी सराहना से संबल मिला है
आपका हास्य अभिनन्दन जी..............हा हा हा हा
aabhaar sandip ji......
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