फ़िल्म : सी आई डी
तर्ज़ : सौ साल पहले......
दो साल पहले मैं बेरोज़गार था, बेरोज़गार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
दोस्तों-पड़ोसियों का कल भी कर्ज़दार था, कल भी कर्ज़दार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
हर साल कई जोड़ी चप्पल घिस जाती है
पर किरण रौशनी की कोई नज़र न आती है
बूढ़े बाप-माँ के लिए कल भी अन्धकार था, कल भी अन्धकार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
भूख का शिकार था और ग़म का गीतकार था, ग़म का गीतकार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
फारम भरते भरते, ये हाथ थक चुके हैं
इस उम्र में ही सर के सब बाल पक चुके हैं
नौकरी तो मिल जाती पर घूस से लाचार था, घूस से लाचार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
सिर्फ़ एक नौकरी का कल भी तलबगार था, कल भी तलबगार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
जय हिन्द !
अलबेला खत्री
Comment
धन्यवाद उमाशंकर मिश्रा जी......बहुत धन्यवाद
जी.....शुक्रिया रोहित जी...
Atyant hasyasprad rachna.badhai Albela Jee
बहुत बढिया रचना ...गीत के तर्ज में गाने में बहुत मजा आया
बच्चे हँस हँस लोट पोट हो रहे थे उनको स्कूल में सुनाने के लिए
मजेदार पेरोडी गाना मिल गया आपको ढेरों बधाई
बहुत बेहतरीन पैरोडी बनी है सर जी मजा आ गया पढ़ कर
बहुत बहुत बधाई आपको साहब
आदरणीय अलबेला जी
आपको परोडी हेतु बड़ी बड़ी बधाई
रोते हुए लोगों को हँसने की राह दिखाई
बेरोजगार रह कर कितनी तकलीफ उठाई
कर लेते गर शादी रोजगार मिल न जाता
खाली मूली जीवन की अनमोल घड़ियाँ
कहीं न कहीं तार जुड न जाता
बाबा को मिलता पोता सास को अदद बहु
आमिर का सत्य मेव जयते एकता का सिरिअल
माथे पर गहरा पसीना एक साथ आता
आगे फिर कभी. जाइयेगा नहीं
ब्रेक के बाद
पैरोडी को साहित्यकारों द्वारा बड़ी हेय दृष्टि से देखा जाता है परन्तु मैंने महसूस किया कि ये भी तो एक विधा ही है कविता की....अगर आपके पास सोच उम्दा है और शब्द सामर्थ्य के साथ साथ गायन का शौक है तो पैरोडी में भी कविता वाली बात लाई जा सकती है .
भाई अरुण श्रीवास्तव जी, मैं प्रयास करूँगा कि इस मंच पर इस विधा को स्थापित करने में अपना पूरा योगदान दूँ............सराहना के लिए शुक्रिया
सादर
बढ़िया पैरोडी सर जी ! आपके आने से ओ ब ओ मंच इस क्षेत्र में भी समृद्ध हुआ !
khoob pakda Rajesh Kumari ji...........bada hi tez chainal hai aaj tak...ha ha ha
मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया हर फ़िक्र को हंसी में उडाता चला गया ह ना !!
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