For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हे अभी.
आपकी बहुत याद आ रही है दिल बार-बार सोच रहा है क्या करूँ .आपके बारे में तरह -तरह के ख्याल दिल में आ रहे है ! सोचता हूँ की येसा कैसे हो सकता है की जो इंसान एक दुसरे के देखे बगैर उसे कभी चैन नहीं पड़ता था,बगैर बाते किये खाने का एक निवाला नहीं लेता था आज ओ इस तरह भूला कैसे दिया ,आखिर उसका दिल भी तो भगवान् ने ही बनाया होगा !
हे अभी.
जो बीत गया ओ कल और जो आज चल रहा है ऐ तो आप अपनी ख़ुशी के खातिर अपनी सुख सुबिधाओ के लिए आप जी रहे हो ! आप ने अपने प्यार और वफा को तो आप अपने पैरो तले कुचल ही दिए हो लेकिन उसका क्या जो आनेवाला कल है जो आप को ठेरों सारे सवाल लिए हुए खडा है ! क्या आप वहां भी वफ़ा के पाठ पठा के बेवफाई करोगे , आप इतने बेपरवाह तो नहीं थे की आने वाले कल की परवाह ना करो !
हे अभी. कभी-कभी मुझे येसा लगता है की आप जो कुछ किये अक्षा किये ,क्यूंकि ये दुनिया की रीती बनती जा रही है और बहुत से लड़कियों का पेसा और मजबूरी हो गयी है ! कोई यैसे इंसान के साथ मोहब्बत क्यूँ निभाये जहां उसके अपने सपने पुरे ना हो सके उसे उसकी मंजिल का पता ना हो, ओ अलग बात थी की पहले प्रेमी-प्रेमिकाए एक दुसरे के आँखों के सपने को अपना सपना समझते थे ! और उन्हें मंजिल की परवाह न होती थी ,तब प्यार को दिल की गहराई में उतर कर मापा जाता था, आज प्यार दौलत के तराजू में मापते है ! अगर आज किसी के पास धन-दौलत है तो ना जाने कितनी प्रेमिकाए -हसिनाये उसके ऊपर जाँ -निसार कर देगी,अगर आप के जीवन में शनि,राहू,केतु. भारी है ! तो कभी कोई लड़की आपसे प्यार की वफादारी नहीं निभा सकती चाहे उसे आप किताना क्यूँ न चाहो ,चाहे आप उसके लिए अपने बदन के रक्त-की एक-एक बूंद निकाल उसके बदन को समर्पित कर दो उसे उस त्याग की तनिक मात्र भी परवाह ना होगी ! क्यूँ की उन्हें चाहिए होता है ! बाहर का दिखावा -चमक-धमक येसो -आराम- जो मै दे न सका.आज भी मेरे पास कुछ भी नहीं .हे अभी इस हृदय में आज भी आप के बिछड़ने का दर्द,और आपके गमो की रोशनी में ताप रहा है ! ऐ तो सच है की ऐ ख़त्म तभी होगा जब मै ख़त्म होऊंगा ! हमें आप से कभी कोई सिकायत ना थी.ना है,और ना रहेगी !!!!!!
हमें सिकायत है तो बस ऐ जिंदगी देने वाले से की उसने सब कुछ देके मुझसे छीन क्यूँ लिए…. !!!!!!!!!!!!!!

Views: 327

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 12, 2012 at 10:43pm
ओ अलग बात थी की पहले प्रेमी-प्रेमिकाए एक दुसरे के आँखों के सपने को अपना सपना समझते थे ! और उन्हें मंजिल की परवाह न होती थी ,तब प्यार को दिल की गहराई में उतर कर मापा जाता था, आज प्यार दौलत के तराजू में मापते है !
प्रिय संजय जी अच्छे विन्दुओं पर प्रकाश डालती आप की लघु कथा ...बहुत अच्छी रही ....थोडा शब्दों पर ध्यान दें जल्दबाजी से बचें ...
ऐसा, सुविधा , ढेरों, पढ़ा के , अच्छा ..आदि 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service