आँखों से अश्कों को सूखने ना दीजिएगा इसे और गिरने दो
इस दर्द को और न रोको इसे और होने दो !
आखिरी मोड़ मेरे इंतज़ार में बाहें फैलाये है
उस सुकून भरी काली रात को अब आने भी दो !!
याद कभी मरेगी नहीं भले हो जाओ कितना भी दूर
ढूंढने दो जरा पता उनका थक के जब ना हो जाऊं चूर
है तुमसे बस इतनी ही दुवा करना मेरे लिए
की अपनी याद़ों को मेरे दिल से कभी जाने ना दो !!
Comment
राजेंद्र जी प्रणाम.......
सुंदर अतिसुंदर भावपूर्ण रचना ......"सपरिवार सहित आपको शुभ दीपावली"
फूल सिंह
संजय सिंह जी .............!!
आप का बहुत-बहुत धन्यवाद....!!
pryas badhiya hai, hardik badhai.
अरविन्द जी .........आप का बहुत-बहुत धन्यवाद....!!
गणेश सर जी......... आपके हम आभारी है !!! आप का बहुत-बहुत धन्यवाद....!!
सौरभ सर जी....!!
आपके सुझाव के लिए आप का आभारी हूँ...!!!
भाई, थोड़ा और प्रयास करें. इस रचना में अभी बहुत विसंगतियाँ हैं.
आप लिखने के साथ अन्य रचनाओं को पढ़े भी तो. और पढ़ते हैं तो उनपर अपनी प्रतिक्रिया भी दें ताकि पता चले आप रचना विशेष में क्या समझ पाये. तब आप यदि रचनारत होंगे तो आपको भी अंतर महसूस होगा. यह मेरा हार्दिक निवेदन है. अब मानना न मानना आपका निर्णय.
हार्दिक धन्यवाद.
संवेदना से ओतप्रोत रचना पर हार्दिक बधाई
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