कितना झूठा, कितना साचा बाबाजी
हमने सब का चेहरा बांचा बाबाजी
अग्निपथ टू देख के दर्शक चौंक उठे
विजय से ज़्यादा हॉट है कांचा बाबाजी
जुहू तट पर अपनी अपनी आयटम संग
खोज रहे सब कोना- खांचा बाबाजी
सीधे सच्चे बन्दे जिसमें ढलते थे
टूट गया है क्या वह सांचा बाबाजी
महाराष्ट्र में रह कर मैं भी सीख गया
तुमचा, आमचा, यांचा, त्यांचा बाबाजी
झंडों में बदलाव का कोई लाभ नहीं
बदलना होगा पूरा ढांचा बाबाजी
चोर होगया नौ दो ग्यारह और पुलिस
करती रह गई तीया-पांचा बाबाजी
अवगुण औरों में तो ढूंढे "अलबेला"
लेकिन ख़ुद को कभी न जांचा बाबाजी
जय हिन्द !
Comment
सम्मान्य गणेश जी बागी साहेब,
आपने इस रचना को पास कर दिया . यह बहुत बड़ी बात है मेरे लिए. हालाँकि मैं अपनी सीमा भली-भांति जानता हूँ . अभी मैं केवल भावप्रधान रचना रचने का ही प्रयास करता हूँ . एक बयान की तरह शब्दों को तरतीब से सजा कर प्रस्तुत करता हूँ.........धीरे धीरे जब ग़ज़ल कहने का सलीका आ जाएगा तब शाइरी भी आ जायेगी और शब्द-शिल्प में सौन्दर्य भी आ जाएगा . लेकिन तब तक यों ही प्रोत्साहन देते रहिये इस बालक को ताकि जी लगा रहे और ऊर्जा बनी रहे
आपकी सराहना ह्रदय में सहेज ली है ..धन्यवाद
आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय भावेश राजपाल जी....
सराहना के ये शब्द सर आँखों पर
अलबेला जी, अपेक्षाकृत बहुत ही कठिन काफिया को आपने पूरी ग़ज़ल में निभाया है, मकता खास तौर पर तारीफ़ के योग्य है, बहुत बहुत बधाई आदरणीय |
आपका एक एक शब्द सर आँखों पर,,,,,,
आभार रेखा जोशी जी
शुक्रिया सोनम सैनी जी...........
आभार इस सराहना के लिए
सराहना के इस कोमलकांत स्पर्श के लिए आपका विनम्र धन्यवाद अरुण कान्त शुक्ला जी
आभारी हूँ
bahut khub sir ji. sahi likha hai.
Albela ji
सीधे सच्चे बन्दे जिसमें ढलते थे
टूट गया है क्या वह सांचा बाबाजी ,stiik likha hae ,badhai
झंडों में बदलाव का कोई लाभ नहीं
बदलना होगा पूरा ढांचा बाबा जी .. आपके लिखने का अंदाज बहुत प्यारा और सरल है , जो दिल के साथ दिमाग में भी घुसता है | बधाई ..|
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