For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मिरे खाबों के शबिस्ताँ

ये मेरी लिखी पहली ग़ज़ल है जो मैंने पूरे प्रयास से बह्र में लिखने की कोशिश की है.
  आप सभी जानकार लोगों से गुज़ारिश है कि तब्सिरा करके खामियां बताएं. आप सब का आभार. :)
  इसका वज़न कुछ ऐसा गिना है मैंने.
  1222/2122/1222/122

   

    मिरे खाबों के शबिस्ताँ में तेरा ही असर है
    गुलों की ख़ुश्बू तिरी नूर से रोशन नज़र है !

    कहाँ होती बात वो यूँ समंदर की अदा में
    सदफ से पूंछो मशक्क़त, कोई पाया गुहर है

    तमाशा है, क्या कहूं,ज़ुल्म है तेरा मगर यूँ
    दहर में चर्चा है. तुहमत है, तू ही बे-खबर है !

    शोरीदा हूँ, खाक-बर-सर मुझे हासिल हुई है
    सितम है औ पा-ब-जौलां मगर, इश्क-ए-शरर है !
 
    मुझे बख्त-ए-शब-ए-फर्दा पता ही तो नहीं है
    कहाँ होता फैसला कब दिखता यूँ सहर है.

===================================
 
शबिस्ताँ=शयनकक्ष; ,सदफ़=सीप ;, मशक्क़त=मेहनत ;, गुहर= मोती,; दहर=दुनिया ;, तुहमत=लान्छन,; शोरीदा=दीवाना ;, खाक-बर-सर= सर पर मिट्टी,; पा-ब -जौलां=पाँव में बेडियाँ,; इश्क-ए-शरर= चिंगारी से मोहब्बत ;, बख्त-ए-शब-ए-फर्दा= कल की रात का भाग्य,; सहर= भोर ..;
 

Views: 479

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Yogi Saraswat on July 3, 2012 at 4:01pm

ग़ज़ल के भाव अच्छे लगते हैं किन्तु उर्दू के कठिन शब्द और उनके मायने न आने की वज़ह से समझ पाने में मुश्किल पेश आती है !

Comment by Raj Tomar on July 3, 2012 at 9:35am

शबिस्ताँ=शयनकक्ष; ,सदफ़=सीप ;, मशक्क़त=मेहनत ;, गुहर= मोती,; दहर=दुनिया ;, तुहमत=लान्छन,; शोरीदा=दीवाना ;, खाक-बर-सर= सर पर मिट्टी,; पा-ब -जौलां=पाँव में बेडियाँ,; इश्क-ए-शरर= चिंगारी से मोहब्बत ;, बख्त-ए-शब-ए-फर्दा= कल की रात का भाग्य,; सहर= भोर ..; 

श्रीमान अरुण कुमार जी. हाँ, ये गलती हो गई थी मुझसे. मैंने कोशिश की सुधारने की.
आपका शुक्रिया कि आप ने ग़ज़ल को एक बार देखा तो.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on July 2, 2012 at 12:03am

मेहरबानी कर हिंदी शब्दार्थ भी लिख दें तो समझने में आसानी होगी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
12 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तिलक राज कपूर साहब,  आपका तह- ए- दिल आभारी हूँ कि आपने अपना अमूल्य समय देकर मेरी ग़ज़ल…"
13 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"जी आदरणीय गजेंद्र जी बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीया ऋचा जी ग़ज़ल पर आने और हौसला अफ़जाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया जी।"
13 hours ago
Chetan Prakash commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी । "छिपी है ज़िन्दगी मैं मौत हरदम वो छू लेगी अगर (…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service