नयन लड़ाना पाप नहीं है बाबाजी
प्यार जताना पाप नहीं है बाबाजी
अगर पड़ोसन पट जाये तो उसके घर
आना - जाना पाप नहीं है बाबाजी
बीवी बोर करे तो कुछ दिन साली से
काम चलाना पाप नहीं है बाबाजी
पत्नी रंगेहाथ पकड़ ले तो उसके
पाँव दबाना पाप नहीं है बाबाजी
रोज़ सुबह उठ, अपनी पत्नी की खातिर
चाय बनाना पाप नहीं है बाबाजी
वेतन से यदि कार खरीदी न जाये
रिश्वत खाना पाप नहीं है बाबाजी
'अलबेला' हर व्यक्ति यहाँ दुखियारा है
इन्हें हँसाना पाप नहीं है बाबाजी
-अलबेला खत्री
Comment
उन्हें बताने की जरुरत नहीं है
उनकी नज़र अपने हर चेले पे होती है
जब चेला गलती करता है तो खुद ब खुद उनकी नज़र उसपे पड़ जाती है और फिर होती है सम्यक ज्ञान की वर्षा
जिससे धीरे धीर नौ निहाल (नया पौधा) बड़ा होने लगता है मजबूत होने लगता है क्यूंकि बहुत से गुरुजन अपने विचारों की खाद डाल डाल के उसे परिपक्व कर देते हैं
इस ओ बी ओ परिवार (बाग़) में वैसे भी चिंतन और मनन के सुद्रढ़ परिवेश में ऐसा अनुकूल वातावरण मिलता है की उसे बढ़ने से कोई ताकत नहीं रोक पाती है
जय हो गुरुदेव की
सम्मान्य श्री शशिप्रकाश सैनी जी,
सर्वप्रथम तो आपकी सराहना के लिए आभारी हूँ
तत्पश्चात आपकी सुन्दरतम रचना के लिए विनम्र बधाई प्रेषित करता हूँ
__वाह वाह वाह
साहब आपकी दूरदर्शिता किसी से छिपी नहीं है.. सारी दुनिया कहती है कि आप वहां भी पहुँच सकते हैं जहाँ रेलगाड़ी भी नहीं पहुँचती.. :))
बहुत बढ़िया सर जी
आपकी ये रचना होठो पे हँसी ले आई
अठन्नी चवन्नी का दर्द भूल गए
"
आभारी हूँ आदरणीय संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशी वासी' जी,
मैं भी पक्का मारवाड़ी आदमी हूँ......जब देखा कि कोई मेरी रचना को like नहीं कर रहा है तो अपना हाथ जगन्नाथ इस्टाइल में मैंने सबसे पहले ख़ुद ही like कर लिया ..वैसे ही जैसे भिखारी अपनी ड्यूटी पर जाते समय कुछ सिक्के ख़ुद ही अपने कटोरे में डाल लेता है ताकि लोग प्रभावित हो कर भीख दे दें....हा हा हा हा
और परिणाम कित्ता अच्छा निकला ....आपने भी तो like किया इसी चक्कर में....
बहुत बहुत धन्यवाद भाई संदीप पटेल जी,
आपके शब्दों में निहित अपनत्व ने बल दिया है
वैसे एक बात कहूँ, कहना मत किसी से....सौरभ पाण्डेय जी को तो बिलकुल मत बताना ....एक हलवाई अच्छी मिठाई बनाने का दावा तो कर सकता है लेकिन वो मिठाई खाने वाले को पसन्द आएगी इसका दावा हलवाई का बाप भी नहीं कर सकता ...हा हा हा
आपको मेरी मिठाई पसन्द आई...
आभारी है ये नया नया हलवाई !
हुज़ूरे आला जो इंसान दुनिया को हंसा हंसा कर लोटपोट कर रहा हो वो भला पापी कैसे कहला सकता है| :-)) आप किसी के भरोसे न सही मगर दुनिया रामभरोसे चल रही है| उन्हीं के भरोसे मैं भी आपकी ग़ज़ल लाइक कर रहा हूँ| कृपया एक नज़रे करम मेरी ग़ज़ल पर भी फ़रमाएं |
http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:245995
आदरणीय सर जी
आपकी बस यही बात तो दिल को छूओ जाती है
के बस हास्य में भी दर्द जी उठता है
कहीं आज की पीढ़ी का दर्द, कभी रुढ़िवादी विचारों का दर्द
किसे क्या कहें
लेकिन मुस्कुराते हुए भी दर्द बयाँ करना अपना एक अंदाज है कला है
और आपको इसमें महारत हासिल है
नमन आपके सुद्रढ़ सुन्दर विचारों को
सम्मान्य सीमा अग्रवाल जी,
आपका बहुत बहुत धन्यवाद
आप आये तो यों लगा मानो बहार आ गई..........ऐसा सम्वाद फिल्मों में बोला जाता है..ओ बी ओ पर नहीं, इसलिए मैं ये कहूँगा कि आप आये तो यों लगा मानो.........कोयले की खदान में कोई जौहरी आ गया हो हीरों की तलाश में...हा हा हा
___आपका हार्दिक स्वागत है जी......और अभिनन्दन भी
___आपकी सराहना सर आँखों पर
कुछ पंक्तियाँ अर्ज़ हैं.
नाम आपका बड़ा निराला सीमा जी !
सबको प्यारा लगने वाला सीमा जी !
सीमा में सी english का, मा संस्कृत का
मतलब 'देखो नहीं' निकाला सीमा जी !
____सादर
अपनी ग़ज़ल को ख़ुद ही like करने में बड़ा मज़ा आता है
और कोई like करे न करे ...अपन किसी के भरोसे क्यों रहें...हा हा हा
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