For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या तुम समझ रहे हो मेरी शायरी की बात ????




उंगलियाँ

जिस दिन से उसकी ज़ुल्फ़ से महरूम हो गयीं
उस दिन से मुझे हाथ में खलती है उंगलियाँ
दस्त -ऐ -करम से उसके यकीं हो गया मुझे
किस्मत किसी की कैसे बदलती है उंगलियाँ


बद -किस्मती

वो है मेरा रफ़ीक मै उसका रकीब हु ,
दुनिया समझ रही है मै उसके करीब हु .
चाह था जिसने मुझको मै उसका न हो सका ,
मै बदनसीब हु मै बहुत बदनसीब हु :


ता -उस्सुरात-ऐ -इश्क

कोई तो बात है जिसको छुपाते रहते हो
के अपने आप से नज़रें चुराते रहते हो
ज़रूर दिल में मोहब्बत किसी की जागी है
बगैर बात के जो मुस्कुराते रहते हो

शिकायत

मेरी रुसवाई कर के तुम मुझे इनआम दे देते ,
अगर मुझ से शिकायत थी मुझे इलज़ाम दे देते .
वफ़ा तो कर न पाए बेवफाई भी न कर पाए ,
कोई इक काम तो तुम ठीक से अंजाम दे देते .

एक बात

तारीकियों से करते है यूँ रौशनी की बात ,
जैसे के कातिलो से करें ज़िन्दगी की बात .
दुनिया उड़ा रही है मेरी बात का मज़ाक .
क्या तुम समझ रहे हो मेरी शायरी की बात ?

Views: 532

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hilal Badayuni on October 6, 2010 at 3:49pm
bahut bahut shukriya ganesh ji ashish ji
aap log isi tarah muhabbato se nawaziye mai yu hi likhta rahunga

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2010 at 9:20am
तारीकियों से करते है यूँ रौशनी की बात ,
जैसे के कातिलो से करें ज़िन्दगी की बात .
दुनिया उड़ा रही है मेरी बात का मज़ाक .
क्या तुम समझ रहे हो मेरी शायरी की बात ?

वाह वाह या बात है, "क्या तुम समझ रहे हो मेरी शायरी की बात ?"
बहुत खूब, बधाई हेलाल भाई इस बेहतरीन क़तात के लिये ,
Comment by आशीष यादव on October 6, 2010 at 6:36am
waah hilal ji. aap ki shayari ka to mai diwana ho gaya. mai ye kah sakta hu ki aap ki shayari ki baat hr koi samajh sakega. itni hridaysparshi hai ki kya kahe.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, पोस्ट पर आने और सुझाव के लिए बहुत बहुत आभर।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service