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वो कौन है जिसकी याद सताती है हमें||

वो कौन है जिसकी याद सताती है हमें|
न जाने किस तरफ ये रोज बुलाती है हमें||

खोजता हूँ मै उसे मिलती नहीं वो मुझको|
रात को लेकिन चुपके से जगाती है हमें||

कहीं मिले जो कभी मुझसे साफ़ कह दूँ मैं|
की कौन है और ऐसे सताती है हमें||

देर तक तन्हा बैठ कर के यूँ ही सोचते हैं|
फिर याद उसकी जमीं महफ़िल में लाती है हमें||

फूल के जैसे खिल के वो मेरे सिने में|
साथ हूँ इसका एहसास कराती है हमें||

एक अनजान सहारा सी बन गयी है वो|
अश्क जब आँखों में आये तो हसाती है हमें||

दूर होती नहीं मुझसे एक पल खातिर|
हर घडी बन के हवा छूकर जाती है हमें||

न जाने किस तरफ ये रोज बुलाती है हमें|
वो कौन है जिसकी याद सताती है हमें||

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Comment by satish mapatpuri on October 11, 2010 at 4:40pm
खोजता हूँ मै उसे मिलती नहीं वो मुझको|
रात को लेकिन चुपके से जगाती है हमें||
फूल के जैसे खिल के वो मेरे सिने में|
साथ हूँ इसका एहसास कराती है हमें||
खुबसूरत ख्याल के लिए दाद देता हूँ आशीष जी.
Comment by DEEP ZIRVI on October 10, 2010 at 6:57pm
दीपावली के पावन पर्व पर

प्रार्थना करते है कि परम् पिता परमात्मा आपको

गणेश की सिद्धी
लक्ष्मी की वृद्धि,
चाणक्य की बुद्धि,
विक्रमादित्य का न्याय,
पन्ना सी धाय,
कामधेनू सी गाय,
भीष्म की प्रतिज्ञा,
हरिश्चन्द्र की सत्यता,
मीरा की भक्ति,
शिव की शक्ति,
कुबेर की सम्पन्नता,
विदेह की विरक्ति,
तानसेन का राग,
दधीचि का त्याग,
भृर्तहरी का बैराग,
एकलव्य की लगन,
सूर के भजन,
कृष्ण की मित्रता,
गंगा की पवित्रता,
मां का ममत्व,
पारे का घनत्व,
कर्ण का दान,
विदुर की नीति,
रघुकुल की नीति प्रदान करे।

दीपावली की हार्दिक शुभकमनाओं सहित
Comment by आशीष यादव on October 10, 2010 at 4:37pm
bagi ji aapne sahi likh diya. mujhse typing ke samay thodi glti ho gayi.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 10, 2010 at 1:23pm
बहुत बढ़िया है आशीष भाई, खुबसूरत एहसास है, दीप भाईसाहब पर यह सब बीत चूका है सो उन्हे यह पुराना लग रहा है और आप पर बीत रहा है इसलिये नया लग रहा है ,हा हा हा ,

आशीष भाई नीचे के पक्तियों पर गौर करेंगे .....
कहीं मिले जो कभी मुझसे साफ़ कह दूँ मैं|
की कौन है और ऐसे सताती है हमें||

कि कौन हो और ऐसे क्यू सताती हो हमें,
Comment by DEEP ZIRVI on October 10, 2010 at 12:43am
hmaare hee tarah na? ha ha
Comment by आशीष यादव on October 10, 2010 at 12:42am
Deep sahab aap ka sujhaw sir aankho par. Par ye fillings achanak aa gayi thi, maine likh diya. Kya hai n ki ladke aksar kisi n kisi hasina ka khwab dekh hi lete hai.
Comment by DEEP ZIRVI on October 9, 2010 at 11:48pm
kuchh nya kijiye n
Comment by आशीष यादव on October 9, 2010 at 9:30pm
Dhanyawad nawin ji

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