पहले से ही त्रस्त हैं, सीधे सादे लोग
मत फैलाओ भाइयो, अफवाहों का रोग
जन जन आशंकित हुआ, नख से लेकर केश
अफवाहों की आँच में, झुलस न जाये देश
देश हमारा ताज है, देशधर्म सरताज
जब तक इसकी लाज है, तब तक अपनी लाज
किसके सिर में चल रही, हिंसा की खुजलाट
मुझको गर दिख जाये वो, मारूँ उसे चमाट
कर्णाटक हो या असम, चाहे महाराष्ट्र
एक हमारी भावना, एक हमारा राष्ट्र
बीज न बोयें द्वेष का, रखिये मन में नेह
आपस में नेहस्त हों , केरल हो या लेह
सरकारों को कोसना, दुस्साहस कहलाय
लेकिन अपने देश में, मूरख आग लगाय
'अलबेला' विनती करे, जोड़े दोनों हाथ
मिलजुल जीना सीख लो, इक दूजे के साथ
-जय हिन्द !
-अलबेला खत्री
Comment
आपका कोटि कोटि धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण जी
बहुत बहुत शुक्रिया
जयपुर में मिलेंगे आप से.........जल्दी ही
तो भाई उमाशंकर जी बधाई आप स्वीकार कर लो............
धन्यवाद मैं रख लेता हूँ.........दोनों का काम बन गया ....हा हा हा ..इसे कहते हैं मारवाड़ी.....अगले का माल अगले को लौटा कर फ़ोकट की वाहवाही कमाना ....हा हा हा
बुरा नी मानना ..आज ज़रा मैं ख़ुश सा हूँ...क्योंकि गृहमंत्री कुछ दिनों के लिए दौरे पर गये हैं.....हा हा हा ..........घर वाली घर नहीं, हमें किसी का डर नहीं.........ये बात पुराणी है लेकिन काम आ गई
बहरहाल.........आभारी हूँ आपके स्नेह का
वाह वाह ..अलबेला जी आपकी परिस्थितिजन्य काव्य ने अभिभूत कर दिया
आज की स्थिति में आपकी ये राष्ट्र प्रेम भरी रचना जरुर असर दिखाएगी
इस रचना के लिए बधाई नहीं ....धन्यवाद स्वीकारें
वाह सीमा जी............ये भी ख़ूब कही...
लोग शक करेंगे..........
हा हा हा
लोग शक करेंगे
बेशक करेंगे
अगर नहीं करेंगे
हम उन लोगों पे शक करेंगे कि आपने शक क्यों नहीं किया ?
कोई शक ?
कहते है गलतियाँ इंसानों से ही होती हैं ...इसलिए स्वयं को इंसान साबित करने के लिए कभी कभी करनी जरूरी है ..वरना लोग शक करेंगे
सावन ना सही भादों सही गलती तो कभी भी कर लीजिए
सम्मान्य सीमा जी,
क्षमा चाहता हूँ..........मैं यहीं टर पे आ कर भूल कर बैठा ...चलो आज पता चला कि गिनती ऐसे होती है...हा हा हा
वैसे महागुरु का विधान नहीं है...ये अच्छी बात नहीं है, हम नौसिखियों के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए.....जब राष्ट्र में महाराष्ट्र है तो फिर महा गुरू में क्या वान्दा है ?
कभी संसद में गया तो ये सवाल ज़रूर उठाऊंगा ....हा हा हा
जय हो सीमा जी आपकी............सावन बीत गया तो क्या हम गलती भी नहीं कर सकते ? वैसे मेरे ख्याल में ये गलती नहीं गलता था ....हा हा हा
बहुत खूब अलबेला जी आपकी हाज़िर जवाबी का जवाब नहीं ....चलिए अब आपकी मात्रा संबंधी जिज्ञासा शांत करने की कोशिश करती हूँ म१ /हा२ /राष् २ /ट्र १ ...........अंतिम ट्र में जो आधे ष् और ट का बोझ है वो रा पर ही रहेगा और अंत में बचा र जिसकी १ मात्रा गिनी जायेगी
रा जो स्वयं दीर्घ है आधे ष् और ट के वज़न के बावजूद २ ही मात्रा का गिना जायेगा क्योंकि गुरु के बाद महा गुरु का विधान नहीं है :)
आपने जो अंतिम टर दो गिना है वो वास्तव में १ है
आपने पूछा गलती कित्ती हुई तो बस इत्ती ही हुई ज्यादा नहीं
आदरणीय लड़ी वाला जी
आपका स्नेह सर आँखों पर..........परन्तु नौहा शब्द मेरा गढ़ा हुआ नहीं है . नौहा का मतलब है एक ऐसी रचना जिसमे रुदन और विलाप हो.........
धन्यवाद
सादर
आदरणीय सीमा जी,
सर्वप्रथम तो आपकी सराहना के लिए हार्दिक हार्दिक धन्यवाद
अब मैं यह कहना चाहता हूँ कि मुझे मात्रा गिनने में कभी कभी समस्या हो जाती है ...मैंने महाराष्ट्र की ७ मात्राएँ मानी हैं म १ हा २ राष २ टर २ = यदि ये गलत है तो मुझे मार्ग दर्शन दें कि कित्ती हुईं........
रही बात नौहे की तो नौहा का अर्थ मैंने अशुद्ध दोहा नहीं लिया बल्कि नौहा से अभिप्राय वह रचना जिसमे रुदन और विलाप होता है ..देखा जाये तो मैंने मेरे दोहों में विलाप ही तो किया है ...वैसे एक बात कहता हूँ ..किसी से कहना नहीं, ...सौरभ पाण्डेय जी से तो कत्तई नहीं कहना....आज प्रलाप करने वाले अलबेला ने भी विलाप किया है.....हा हा हा हा
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