(१) झुकी नजरें
खामोशी इजहार
पहला प्यार
(२) सब अपना
हरेक का सपना
कलियुग है
(३) भारी टोकरा
रोकड़ा ही रोकड़ा
उपरी आय
(४) संतों का बैरी
लुटेरों का चहेता
हमारा नेता
(५) अँगूठा छाप
पढ़े-लिखों का बाप
जनतंत्र है
(६) संकीर्ण सोच
इंसानी खुराफात
ये जात-पात
(७) तिल का ताड़
मजहब की आड़
आतंकवाद
(८) बेमेल दल
लाचार सरकार
गठबंधन
(९) सब ने ठगा
हाशिये पर रखा
हिन्दू जनता
(१०) हमारा वोट
हमारी सरकार
तो क्यों बवाल
(११) फटे में बीवी
भूखे मरते बच्चे
हाय गरीबी
Comment
आदरणीय योगी जी.....सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.....
भारी टोकरा
रोकड़ा ही रोकड़ा
उपरी आय
बहुत खूब , कुमार साब !
आदरणीया रेखा जी......सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.......
सुंदर हाइकु गौरव जी ,बधाई
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