For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक सपना था जो टूट गया फिर,
व्यर्थ का ये प्रलाप है क्यों,
ख़ाबों के टूटने पर भी कभी,
कोई जान देता है भला,


रात तुम सोये,
चंद सपनों ने बहलाया रात भर,
सपने में राजा बने बैठे थे तुम,
दोनों हाथों से धन लुटाते,
अपनी जयघोष सुनकर प्रफुल्लित हुए,

अब नींद पूरी हो गई है,

उठो और मुस्कुराकर,

शुक्रिया कहो उस रात को,
जिसने चंद पलों के लिए ही सही,
कुछ ऐसा दिया,
जो खोजते हो शायद हर रोज कहीं,
सपने में जो देखा वो मिला नहीं,
ये सोचने का आखिर फायदा क्या है,
 
ये जीवन भी एक सपना ही है,
सब खाली हाथ ही आते हैं,
कुछ नाम कुछ सम्मान,
यहाँ पाते हैं कुछ ही देर के लिए,
और इतराते हैं सीने से लगाए उसे,
 
पर जब बारी जाने के आती है,
तब सब छूटता सा लगने लगता है,
जो कुछ लाया ही नहीं,
उसका क्या छूटता है यहाँ, 
 
व्यर्थ के प्रलाप में रखा क्या है,
मौत ही अंतिम सत्य है,
इससे बचना संभव ही कहाँ है,
तो मुस्कुराओ और शुक्रिया कहो,
उस जीवन को जो रंग कई दिखा कर,
अब छूट रहा है धीरे से……..

Views: 389

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by पियूष कुमार पंत on September 27, 2012 at 9:14pm

क्षमा चाहता हूँ पर आपके प्रश्न को समझ नहीं पाया....... 

पर अपनी बात को स्पष्ट करना चाहूँगा......... कि, 

मनुष्य के जीवन के सत्यों में एक सत्य जन्म है, जिसके साथ कई अन्य सत्यों का अनुभव मनुष्य को होता है...... फिर इन्हीं कुछ सत्यों के अनुभव करते हुए मनुष्य मृत्यु तक पहुँच जाता है....... जिसके बाद कोई सत्य मनुष्य के लिए नहीं बचता.... वही एक अंतिम सत्य है जिसे वो अनुभव करता है.... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 27, 2012 at 7:49pm

तो क्या जन्म से पहले और मृत्यु के बाद ......???

Comment by पियूष कुमार पंत on September 27, 2012 at 7:40pm

आपके प्रश्न में ही आपका उत्तर भी छुपा है...... आपने कहा की जीवन और जन्म सत्य नहीं है....... 

जन्म प्रथम सत्य है.... और दूसरा सत्य जीवन ही है....... मौत तो अंतिम सत्य है....... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 27, 2012 at 7:24pm

बहुत सुन्दर सत्य प्रस्तुति.... हार्दिक बधाई इस अभिव्यक्ति पर पियूष जी 

एक बात पूछना चाहती हूँ ...कि मौत को आप अंतिम सत्य क्यों मानते हैं ?.. क्या जीवन और जनम भी उतना ही सच नहीं , जितनी कि मृत्यु है???

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
1 hour ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
4 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service