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कई दिन की बारिश के बाद,

आज बड़ी अच्छी सी धूप खिली थी,

नीला सा आसमान,

जो भरा था कई सफ़ेद बादलों से,

कई लोगों ने अपने कपड़े,

फैला दिये थे सुखाने को छ्तों पर,

जो कई दिन से नमी से सिले पड़े थे,

याद आ ही गई बचपन की वो बात बरबस,

की जब कहा करते थे की,

बारिश होती है जब ऊपर वाला कभी रोता है,

फिर जब धूप खिलती थी,

और आसमान भर जाता था सफ़ेद बादलों से,

तब कहा करते थे की,

ऊपर वाले ने भी सुखाने डाली है रजाइयाँ अपनी,

जो भीग गई थी, कल उसके ही आंसुओं से,

आज फिर से उन बादलों को देख कर लगा,

क्या वास्तव में ये रजाइयाँ ही हैं,

और क्या ये पानी सच में तब ही बरसता है की जब वो रोता है,

हाँ सच ही लगता है,

कोई भी रो पड़े जब तनहा हो,

कहीं दूर हो उस अकेले चाँद की तरह.......

~~ पियूष कुमार पंत......

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Comment

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Comment by पियूष कुमार पंत on September 30, 2012 at 9:56pm

आप सभी का शुक्रिया...... 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on September 30, 2012 at 12:47am

याद आ ही गई बचपन की वो बात बरबस,

की जब कहा करते थे की,

बारिश होती है जब ऊपर वाला कभी रोता है,

प्रिय पन्त जी ..बहुत सुन्दर रचना बचपन की यादें और खूबसूरत कल्पना की उड़ान 

जय श्री राधे 
अपना स्नेह बनाये रखें 
भ्रमर ५ 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 29, 2012 at 7:39pm

आपकी इस सुन्दर रचना नें मुझे बहुत पहले लिखी गयी मेरी ही एक रचना की पंक्तियाँ याद दिला दीं... यहाँ साझा कर रही हूँ. इस हेतु हार्दिक बधाई पियूष कुमार पन्त जी 

see all the milky clouds mourning in limitless sky...

they are pouring raindrops with my each and every cry...

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 29, 2012 at 5:55pm

बहुत अच्छा लिखा बहुत अच्छे भाव  है पियूष जी कुछ टंकण त्रुटी हैं ठीक कर लीजिये 

कृपया ध्यान दे...

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