कई दिन की बारिश के बाद,
आज बड़ी अच्छी सी धूप खिली थी,
नीला सा आसमान,
जो भरा था कई सफ़ेद बादलों से,
कई लोगों ने अपने कपड़े,
फैला दिये थे सुखाने को छ्तों पर,
जो कई दिन से नमी से सिले पड़े थे,
याद आ ही गई बचपन की वो बात बरबस,
की जब कहा करते थे की,
बारिश होती है जब ऊपर वाला कभी रोता है,
फिर जब धूप खिलती थी,
और आसमान भर जाता था सफ़ेद बादलों से,
तब कहा करते थे की,
ऊपर वाले ने भी सुखाने डाली है रजाइयाँ अपनी,
जो भीग गई थी, कल उसके ही आंसुओं से,
आज फिर से उन बादलों को देख कर लगा,
क्या वास्तव में ये रजाइयाँ ही हैं,
और क्या ये पानी सच में तब ही बरसता है की जब वो रोता है,
हाँ सच ही लगता है,
कोई भी रो पड़े जब तनहा हो,
कहीं दूर हो उस अकेले चाँद की तरह.......
~~ पियूष कुमार पंत......
Comment
आप सभी का शुक्रिया......
याद आ ही गई बचपन की वो बात बरबस,
की जब कहा करते थे की,
बारिश होती है जब ऊपर वाला कभी रोता है,
प्रिय पन्त जी ..बहुत सुन्दर रचना बचपन की यादें और खूबसूरत कल्पना की उड़ान
आपकी इस सुन्दर रचना नें मुझे बहुत पहले लिखी गयी मेरी ही एक रचना की पंक्तियाँ याद दिला दीं... यहाँ साझा कर रही हूँ. इस हेतु हार्दिक बधाई पियूष कुमार पन्त जी
see all the milky clouds mourning in limitless sky...
they are pouring raindrops with my each and every cry...
बहुत अच्छा लिखा बहुत अच्छे भाव है पियूष जी कुछ टंकण त्रुटी हैं ठीक कर लीजिये
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online