For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पीठ मे छुरा घोपना किसे कहते हैं?

इस घटना ने मुझे जबरदस्त सबक सिखा दिया ! हुआ यह कि पिछले दिनों मेरे एक जो की किसी ज़माने में मेरे रूममेट हुआ करते थे मेरे घर पधारे ! उनको मेरे शहर में ही नौकरी मिली थी, लेकिन नया होने की वजह से उनको रहने का कोई ठिकाना अभी तक नहीं मिल पाया था ! क्योंकि उनसे पुरानी जान पहचान थी तो मैं उन्हे अपना समझकर अपने कमरे की चाबी सौंप कर अपने काम पर निकल गया ! लेकिन उस मित्र ने इस पल का भरपूर इस्तेमाल करते हुए मेरे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क ही बदल डाली| इस बात का आभास मुझे कल ही हुआ जब मैंने कंप्यूटर ठीक करवाने भेजा ! हार्ड डिस्क से सारा महत्वपूर्ण डाटा ग़ायब हो चुका था ! जब मैंने उस मित्र से पूछा तो वे चारों खुर उठा कर मेरी तरफ लपके और बोले:
"क्या तुम मुझे चोर समझ रहे हो ??"

लेकिन जब मैंने पुलिस में जाने की बात की तो जनाब ने सच उगल दिया कि उसने उन्होने वो ड्राइव अपने कंप्यूटर सहित किसी को बेच दी है ! और जिसने भी वो कंप्यूटर खरीदा था वो सज्जन मेरी हार्ड डिस्क को फ़ॉर्मेट करके सारा डाटा डिलीट कर कर चुका था ! बात बढ़ जाने के डर से वह दोस्त उस हार्ड डिस्क के बदले में नुझे पैसे देने की बात भी करने लगा था !

मैं इस घटना से इतना आहत हुआ कि सोचने लगा क्या मैंने उस दोस्त को समझने मे थोड़ी देर कर गया था या जल्दबाजी, समझ मे नही आ रहा ! रह रह कर मेरे मस्तिष्क में एक ही सवाल कौंध रहा था कि क्या किसी दोस्त की सहायता करना पाप है ? क्या मैंने उसको आश्रय देकर ग़लत किया ? क्या इसे ही पीठ मे छुरा घोपना तो नहीं कहते हैं?

इस बारे में आप सब की क्या राय है ? दोस्ती के आयाम क्या होने चाहिए ? क्या दोस्तों पर आँख मूँद कर भरोसा करना ग़लत है ? या फिर यह सोचकर सब कुछ भुला देना चाहिए कि सब लोग एक जैसे नहीं होते ? क्या दोस्तों को दोस्तों के साथ ऐसी हरकतें करने की पूरी आज़ादी है ?

Views: 684

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on October 24, 2010 at 4:40pm
नमस्कार अभिषेक भाई....
बहुत ही बुरा हुआ हैं...इन्ही लोगो के कारण दोस्ती जैसा पवित्र रिश्ता शर्मशार होता है....लेकिन अब किया भी क्या जा सकता है....कुछ कामीने ऐसे भी होते जो दोस्ती के नाम पर ऐसी काम करते हैं....मैने आपके बताया ही ना मेरे साथ जो जुआ...वो मेरे गाव का था इसलिए मैने 2 दिन के लिए रहने दे दिया..और उसने मेरे साथ ऐसा किया....इन जैसे लोगों का एक ही उपाय है की किसी तरह पता करके दम भर मारा जाए....और ऐसा किया जाए उसके साथ की भविस्य ऐसा करना तो दूर ऐसा सोच के भी उसकी रूह काँप जाए.....

.वैसे मैं आपके साथ हूँ अभिषेक भाई...किसी भी प्रकार की ज़रूरत आन पड़ी तो बताईएएगा...मैं हाज़िर रहूँगा...
Comment by ABHISHEK TIWARI on October 24, 2010 at 3:54pm
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद,इस विपत की घड़ी मे साथ देने के लिए|हमें अफ़सोस इस बात का नही रहा की मेरी हार्ड डिस्क चोरी गयी, मगर दुख इस बात का रहा की मेरे वर्षों के मेहनत पर पानी फिर गया|मगर अब ठीक है |हम उस दोस्त के दिल्ली आगमन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं|हमारे बाकी दोस्त भी यही चाहते हैं की एक बार उनसे हमारा साक्षात्कार हो , बस एक बार |हम इस समय अपने आप को ठीक ठाक महसूस कर रहे हैं आशा है आपलोग भी सकुशल होंगे , धन्यवाद |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on October 22, 2010 at 7:38pm
कुछ लोगो की वज़ह से दोस्ती का पवित्र रिश्ता भी दागदार हो जाता है पर इसका कतई यह अर्थ नहीं है की सभी लोग एक जैसे होते है| इसीलिए कहा जाता है की सच्चा मित्र बड़े कठोर तप के बाद ही मिलता है| आप शुक्र मनाइए की समय रहते ही आपको सच्चाई का पता चल गया नहीं तो भविष्य में ऐसा व्यक्ति आपके साथ और भी बुरा कर सकता था| पिछली बातों को भुलाकर आप आगे भविष्य की और ध्यान दें|

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 21, 2010 at 9:56am
जो हुआ गलत हुआ अभिषेक भाई, यही कुछ उदाहरण है जिसके कारण लोगो का विश्वास उठता जा रहा है, सभ्य और भले घरों के लड़को द्वारा इस तरह की चोरियाँ एक मानसिक विकार है, जिसपर उनका स्वयम का भी नियंत्रण नहीं रहता, घरवालों को चाहिये कि इस परिस्थिति मे किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक कि मदद ले और भारत के भविष्य को बिगड़ने से रोके |
निश्चित ही इस तरह के कृत्य दोस्ती जैसे पवित्र रिश्ते के पीठ मे छुरा घोपना है |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
yesterday
Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service