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पीठ मे छुरा घोपना किसे कहते हैं?

इस घटना ने मुझे जबरदस्त सबक सिखा दिया ! हुआ यह कि पिछले दिनों मेरे एक जो की किसी ज़माने में मेरे रूममेट हुआ करते थे मेरे घर पधारे ! उनको मेरे शहर में ही नौकरी मिली थी, लेकिन नया होने की वजह से उनको रहने का कोई ठिकाना अभी तक नहीं मिल पाया था ! क्योंकि उनसे पुरानी जान पहचान थी तो मैं उन्हे अपना समझकर अपने कमरे की चाबी सौंप कर अपने काम पर निकल गया ! लेकिन उस मित्र ने इस पल का भरपूर इस्तेमाल करते हुए मेरे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क ही बदल डाली| इस बात का आभास मुझे कल ही हुआ जब मैंने कंप्यूटर ठीक करवाने भेजा ! हार्ड डिस्क से सारा महत्वपूर्ण डाटा ग़ायब हो चुका था ! जब मैंने उस मित्र से पूछा तो वे चारों खुर उठा कर मेरी तरफ लपके और बोले:
"क्या तुम मुझे चोर समझ रहे हो ??"

लेकिन जब मैंने पुलिस में जाने की बात की तो जनाब ने सच उगल दिया कि उसने उन्होने वो ड्राइव अपने कंप्यूटर सहित किसी को बेच दी है ! और जिसने भी वो कंप्यूटर खरीदा था वो सज्जन मेरी हार्ड डिस्क को फ़ॉर्मेट करके सारा डाटा डिलीट कर कर चुका था ! बात बढ़ जाने के डर से वह दोस्त उस हार्ड डिस्क के बदले में नुझे पैसे देने की बात भी करने लगा था !

मैं इस घटना से इतना आहत हुआ कि सोचने लगा क्या मैंने उस दोस्त को समझने मे थोड़ी देर कर गया था या जल्दबाजी, समझ मे नही आ रहा ! रह रह कर मेरे मस्तिष्क में एक ही सवाल कौंध रहा था कि क्या किसी दोस्त की सहायता करना पाप है ? क्या मैंने उसको आश्रय देकर ग़लत किया ? क्या इसे ही पीठ मे छुरा घोपना तो नहीं कहते हैं?

इस बारे में आप सब की क्या राय है ? दोस्ती के आयाम क्या होने चाहिए ? क्या दोस्तों पर आँख मूँद कर भरोसा करना ग़लत है ? या फिर यह सोचकर सब कुछ भुला देना चाहिए कि सब लोग एक जैसे नहीं होते ? क्या दोस्तों को दोस्तों के साथ ऐसी हरकतें करने की पूरी आज़ादी है ?

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Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on October 24, 2010 at 4:40pm
नमस्कार अभिषेक भाई....
बहुत ही बुरा हुआ हैं...इन्ही लोगो के कारण दोस्ती जैसा पवित्र रिश्ता शर्मशार होता है....लेकिन अब किया भी क्या जा सकता है....कुछ कामीने ऐसे भी होते जो दोस्ती के नाम पर ऐसी काम करते हैं....मैने आपके बताया ही ना मेरे साथ जो जुआ...वो मेरे गाव का था इसलिए मैने 2 दिन के लिए रहने दे दिया..और उसने मेरे साथ ऐसा किया....इन जैसे लोगों का एक ही उपाय है की किसी तरह पता करके दम भर मारा जाए....और ऐसा किया जाए उसके साथ की भविस्य ऐसा करना तो दूर ऐसा सोच के भी उसकी रूह काँप जाए.....

.वैसे मैं आपके साथ हूँ अभिषेक भाई...किसी भी प्रकार की ज़रूरत आन पड़ी तो बताईएएगा...मैं हाज़िर रहूँगा...
Comment by ABHISHEK TIWARI on October 24, 2010 at 3:54pm
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद,इस विपत की घड़ी मे साथ देने के लिए|हमें अफ़सोस इस बात का नही रहा की मेरी हार्ड डिस्क चोरी गयी, मगर दुख इस बात का रहा की मेरे वर्षों के मेहनत पर पानी फिर गया|मगर अब ठीक है |हम उस दोस्त के दिल्ली आगमन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं|हमारे बाकी दोस्त भी यही चाहते हैं की एक बार उनसे हमारा साक्षात्कार हो , बस एक बार |हम इस समय अपने आप को ठीक ठाक महसूस कर रहे हैं आशा है आपलोग भी सकुशल होंगे , धन्यवाद |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on October 22, 2010 at 7:38pm
कुछ लोगो की वज़ह से दोस्ती का पवित्र रिश्ता भी दागदार हो जाता है पर इसका कतई यह अर्थ नहीं है की सभी लोग एक जैसे होते है| इसीलिए कहा जाता है की सच्चा मित्र बड़े कठोर तप के बाद ही मिलता है| आप शुक्र मनाइए की समय रहते ही आपको सच्चाई का पता चल गया नहीं तो भविष्य में ऐसा व्यक्ति आपके साथ और भी बुरा कर सकता था| पिछली बातों को भुलाकर आप आगे भविष्य की और ध्यान दें|

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 21, 2010 at 9:56am
जो हुआ गलत हुआ अभिषेक भाई, यही कुछ उदाहरण है जिसके कारण लोगो का विश्वास उठता जा रहा है, सभ्य और भले घरों के लड़को द्वारा इस तरह की चोरियाँ एक मानसिक विकार है, जिसपर उनका स्वयम का भी नियंत्रण नहीं रहता, घरवालों को चाहिये कि इस परिस्थिति मे किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक कि मदद ले और भारत के भविष्य को बिगड़ने से रोके |
निश्चित ही इस तरह के कृत्य दोस्ती जैसे पवित्र रिश्ते के पीठ मे छुरा घोपना है |

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