For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो छूटीं प्यार की बातें....


जो बातें प्यार की छूटीं हैं अब तक,
आज करनी हैं …
सुनो जी काम छोड़ो , पास बैठो…
शाम की गाड़ी पकड़नी है ….

वो पैंतीस साल पहले रात,
जो आई सुहानी थी…
वो गुजरी रात मे अभिसार की,
प्यारी कहानी थी ….

वो जो छूटीं रहीं इनकार मे थीं …
प्यार की बातें….
वो जो मूंदीं ढकीं इनकार मे थीं ,
प्यार की बातें….

वो जिनके बीच
मुन्नू और चुन्नू का बहाना था…
वो जो इनकार मे इकरार का ही
एक फसाना था…

नही आती मुझे ज्यादा,
कभी श्रंगार की बातें
यही कारण था कि,
छूटीं रहीं अभिसार की बातें….

कि दिन ढलने लगा है अब ,
मचलती शाम आई है…
हमारी डूबती नब्ज़ों को,
यह पैग़ाम लाई है…

जो छूटीं थी अभी तक आज कर लो,
प्यार की बातें ….
कभी अभिसार की बातें,
कभी इकरार की बातें….

सुनो देखो न यूँ रूठो,
न शर्माने का यह पल है…
कि अपना प्यार अब, परवान चढ़ जाए
यह वो पल है …

सुनो अच्छा करो वादा
कि हम जाएँ जहाँ तक भी…
हमारे प्यार मे हरदम,
यही दम हो यही खम हो…

डॉ बृजेश कुमार त्रिपाठी

Views: 683

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 26, 2010 at 12:02pm
श्रींगार रस की बेहतरीन कृति, रवानगी ऐसी जैसे शांत पतली सी नदी बहती हो, बहुत बढ़िया डॉ. साहब, इस रचना को गाया जा सकता है |
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 25, 2010 at 6:26pm
प्रीत जी ,आशीष जी राणा प्रताप जी ... उत्साह वर्धन करने के लिए आभार आपको मेरी कृति पसंद आई तो मेरा लेखन सफल हुआ
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on October 25, 2010 at 11:45am
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है ब्रिजेश साहब....पढ़ के मन खुश हो गया साहब...
Comment by आशीष यादव on October 23, 2010 at 3:19pm
sundar abhiwyakti sir, bahut hi achchha laga.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on October 22, 2010 at 7:04pm
आदरणीय डा० ब्रिजेश कुमार त्रिपाठी सर
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

सुनो अच्छा करो वादा
कि हम जाएँ जहाँ तक भी…
हमारे प्यार मे हरदम,
यही दम हो यही खम हो…

बधाई कबूल करें
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 22, 2010 at 4:17pm
नवीन जी, मेरे भाई
आप प्रतिक्रिया दे रहे हैं तो यह अधिकार भी तो आपका ही है,कि इसे जो चाहें दर्जा दें
मैं तो आपके द्वारा दिए गए हर शब्द को अपना पुरुस्कार समझता हूँ ..आपको मेरी रचना अच्छी लगी ..मेरा कृतित्व सफल हुआ ..आपके कॉमेंट्स मेरे लिए बहुमूल्य हैं ...धन्यवाद्

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service