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मुझे लगरहा था की गलत समय पर रचना पोस्ट होने से माननीय सदस्य इस रचना को पढ़ नहीं पाए । रचना में अंकित बचपन की यादो में ममत्व स्नेह भाव पसंद करने हेतु हार्दिक आभार स्वीकारे आपका आदरणीया राजेश कुमारी जी
हर व्यक्ति दिल से अपना संचित ज्ञान ,धन धान सब अपने बच्चों को देकर जाना चाहता है पर कभी नहीं चाहता की जिस कमी को उसने भुगता उसके बच्चे स्वप्न में भी वो महसूस करें ये ही तो माता पिता का एक निःस्वार्थ ,पावन ममत्व है अपनी संतान के लिए यही सब भाव आपकी इस रचना से झलक रहे हैं बचपन की यादें कभी दिल से दूर नहीं होती बहुत बढ़िया प्रस्तुति हार्दिक बधाई आपको
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