ओ बी ओ में हो रहा, उत्सव का आगाज |
आठ वर्ष तक का सफ़र,साक्ष्य बना है आज ||
दूर दृष्टि बागी लिए, खूब बिछया साज |
योगराज के यत्न से, बना खूब सरताज | |
काव्य विधा को सीखते, विद्वजनों…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 2, 2018 at 2:30pm — 27 Comments
मुक्त हृदय से आज करूँ मैं, सबका ही सत्कार,
माँ वीणा सद्ज्ञान मुझे दो, जग में करूँ प्रसार ||
माँ-बापू के सद्कर्मों से, आया माँ की गोद।
मिला छत्र छाया में उनके,जीवन का आमोद।।
किये बहत्तर वर्ष पार ये, बिना किसी अवसाद
स्वर्गलोक से मिलता मुझको,उनका आशीर्वाद।।
माँ-बापू से पाया मैंने,जीवन में संस्कार।
मिला सनातन धर्म रूप में, मुझको भारत वर्ष ।
ऋषि-मुनियों का देश यही है,इसका मुझको हर्ष ||
वन-उपवन में रोप सकूँ मै, कुछ सुन्दर से…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2017 at 7:30am — 14 Comments
गीत - मुखड़ा -
करे तमस को दूर दीप ही, दूर भागता अँधियारा |
दीप निभाये धर्म सदा ही, जलकर करता उजियारा ||
सूर्य किरण उठ भोर झाँकती, नित्य सदा ही खिड़की से
दीन करे विश्राम डरे बिन, सदा मेघ की घुड़की से ।।
दीन-हीन के द्वार जहाँ भी, घिरने लगता अँधियारा
दीप निभाये धर्म सदा ही, जलकर करता उजियारा ।
दीप जलाएं द्वारें जाकर, छँटे दीन का अन्धेरा ।
सबको दे उजियार दीप ही,पर खुद का नही सवेरा ।।
दुख दर्दों की मार झेलता, दीन हीन सा…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2017 at 2:00pm — 9 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 1, 2017 at 7:51pm — 4 Comments
माँ के निकाले हुए पुराने बर्तन बेचकर दीपावली त्योहार के लिए जरूरी सामान की सूची अनुसार पिताजी बाजार से पूजा का सामान, छोटे-छोटे पाँच फल, दो गन्ने, पाँव लड्डू-जलेबी, फूले-पतासे, लक्ष्मी जी का पाना, और रुई लाकर सामान माँ को देते हुए पूछा 21 की जगह 11 दीपक ही ले आता हूँ । इस पर माँ बोली -"मेरे पीहर के गांव कुंडा से कुम्हार आया था जो कल मना करने पर भी 21 दीपक रख गया है और पूछने पर भी रुपये नही बताये । अब उसे रुपये भाई-दूज के बाद दे आऊंगी । इस बार तो 21 दीपक ही…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 18, 2017 at 6:28pm — 18 Comments
महिला दिवस पर रचित दोहे -
मही रूप देवी धरे, धैर्य गुणों की खान
साहस की प्रतिमूर्ति भी, नारी को ही मान |
सृष्टि सृजनकर्ता यही,यही मही का अर्थ,
रणचण्डी भी बन सके, नारी सभी समर्थ ।
महिला से महके सदा,घर आँगन में फूल
वही सजाती घर सदा, मौसम के अनुकूल ।
जीवन के हर रूप में, नारी मन उपहार,
आलोकित जीवन करे, खुशियों के…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 9, 2017 at 4:30pm — 4 Comments
संतों तक को झूठी रिपोर्ट के आधार पर गिरफ्तार कर सरकार अच्छा नहीं कर रही | देश विदेश में लाखों अनुयायी किसी के ऐसे ही बनते | मेरे घर से अपनी बहन के साथ इनके आश्रम में 15 दिन रहकर आई है | चेलों का बड़ा ख्याल रखा जाता है | नियमित व्याखान और पूजा पाठ चलता रहता है | बहुत पहुँचे हुए संत है, मैंने भी पुष्कर में इनके प्रवचन सुने है |
पाठक जी बोले - ये सब तो ठीक है ओझा जी, पर इनके खिलाफ अश्लील कारनामे और महिलाओं के साथ लिप्त पाए जाने के पुख्ता सबूत के आधार पर ही गिरफ्तार किया है | कई शहरों में…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 21, 2017 at 12:22pm — 10 Comments
कुंडलिया छंद
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सुख-सुविधा से काटते, जीवन उसके साथ,
जब सजनी के काम में, आप बँटाते हाथ। |
आप बँटाते साथ, ह्रदय में प्रेम बरसता
करे सभी सहयोग, उसी के घर समरसता
रहे सभी जब साथ, फिर न जीवन में दुविधा
पुत्र बहूँ औ पौत्र, मिलें सबको सुख-सुविधा |
(2)
जीवन के संग्राम में, करते जो संघर्ष,
सुगम रह उसकी बने, जीवन हो उत्कर्ष ।
जीवन हो उत्कर्ष, राह में आगे बढ़ता
करे सत्य ही बात,अकारण कभी न अड़ता
स्वार्थ भावना…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 6, 2016 at 3:50pm — 4 Comments
कुण्डलिया छंद
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तिल हो गोरे गाल पर, निखरे गोरे गाल,
अला बला फटकें नहीं, किसकी गलती दाल
किसकी गलती दाल, पस्त हो सबकी हिम्मत
रखें फटें में पाँव, कौन की खोटी किस्मत |
चन्दा के भी दाग, सिन्धु में प्रेम सलिल हो
सुन्दरता का चिन्ह, अगर गौरी के तिल हो |
- लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2016 at 3:30pm — 10 Comments
सौतेली माँ हो रही, सभी जगह बदनाम
राज त्याग वन को गये,त्रेता में श्री राम।।
त्रेता में श्री राम, हुए शिकार सब जाने
कोख से रहे लगाव, सुने फिर सबके ताने
कैसे बदले भाव, आज भी बनी पहेली
दशरथ को अघात,आज भी दे सौतेली |
माँ की ममता कोख से, जग जाने यह बात,
सौतेली सहती रहे, पुत्रों से आघात ।
पुत्रों से आघात, बड़ा ही पहने पगडी
ह्रदय झेलता शोक, चोट जो लगती तगड़ी
प्रभु करें उद्धार, भाव में आये समता
ह्रदय भरे सद्भाव, सभी में माँ…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 27, 2016 at 2:04pm — 2 Comments
हिंदी दिवस की शुभ कामनाओं के साथ कुछ दोहे -
हमें बढ़ाना मान (दोहे)
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हिंदी में साहित्य का, बढ़ा खूब भण्डार
हम संस्कृति का देखते, शब्दों में श्रृंगार |
कविता दोहा छंद में, सप्त सुरों का राग
गीत गीतिका छंद में, भरें प्रेम अनुराग…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2016 at 11:30am — 12 Comments
प्रायश्चित
सेवा निवृति के 6 माह पूर्व सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए चंदा एकत्रित करने वाली विभागीय समिति को सहयोग करने हेतु कनिष्ठ अधिकारी शुक्ला को लगाया | एक जगह सी.बी.आई द्वारा रिश्वत के मामले में समिति के साथ ट्रैप होने पर उसे भी निलंबित कर दिया गया | सेवा निवृति पर न्यायालय से निर्णय होने तक देय परिलाभ रोक दिए गए | किसी के बताने पर वह एक पहुंचें हुए ज्योतिषी से मिला जिसने शुक्ला की व्यथा सुनाने के बाद बताया कि घर के देवी देवता नाराज है ? उन्हें मनाने का उपाय…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 1, 2016 at 11:58am — 4 Comments
तपकर लोहा आग में, बन जाता फौलाद,|
मात-पिता की आँच में, संस्कारी औलाद |
संस्कारी औलाद, प्रगति में हाथ बँटाते
करते जो पुरुषार्थ, काम से कब घबराते
कह लक्ष्मण कविराय,युवक ले शिक्षा जमकर
सक्षम और कुशाग्र, बने गुरुकुल में तपकर |
सुनकर लंबित फैसला, विधवा हुई निढाल
दुख सहते वादी मरा, घर का खस्ता हाल |
घर का खस्ता हाल, हुई जब पेंशन लंबित
सुनने हक़ में न्याय, हुआ न वहाँ उपस्थित
लक्ष्मण माँगे न्याय, परिस्थिति हो जब…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 26, 2016 at 5:00pm — 10 Comments
छक्का मारा आज (16-11 मात्राएँ)
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छ वर्षों से बना हुआ है,जो सबका सरताज
ओबीओ के वेब पेज ने, छक्का मारा आज |
उत्सव हम सब मना रहे है,खिले प्रीति के रंग
काव्य सुधा रस मिले जहा पर, करे वहां सत्संग |
जाल बिछाया था बागी ने,योगराज का यत्न,
बिखेर रहे सौरभ भी खुश्बू,मना रहे सब जश्न |
काव्य गजल लघु कथा सभी में,बना दिया प्रतिमान
ज्ञान पिपासू शरण यहाँ ले, बढ़ा रहे सब ज्ञान |
भेद भाव को भूल भाल कर, करते सद्व्यवहार…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 1, 2016 at 11:30am — 6 Comments
होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं सहित प्रस्तुत -
कुंडलिया छंद
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होली का त्यौहार ये, लगता सदा बहार
भारत वासी मानते, सतरंगी त्यौहार,
सतरंगी त्यौहार, मनाते घर घर खुशियाँ
बजता ह्रदय मृदंग, रंग बरसाते हुरियाँ |
लक्ष्मण देखे लोग,बनाते अपनी टोली
जीजा साली संग, खेलते खुलकर होली |
(2)
होली में दिल खोलकर, करे आप सत्कार
घर में खुशियों के लिए,आया यह त्यौहार
आया यह त्यौहार, यहाँ पर सभी मनाते
फाग खेलते…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 22, 2016 at 10:48am — 4 Comments
ईश कृपा से ही हुऐ, सात दशक ये पार,
बाँट सका सुख-दुख सदा,उन सबका आभार | - 1
सहयोगी मन भाव से, दिया जिन्होनें साथ,
आभारी उनका सदा, भली करेंगे नाथ | - 2
सीख मिली जिनसे सदा, उनका ऐसा कर्ज,
चुका सकूँ क्या मौल मै, पूरा करने फर्ज | = 3
गुरुजन को मै दे सकूँ, क्या ऐसी सौगात,
सूरज सम्मुख दीप की, आखिर क्या औकात |-4
कृपा करे माँ शारदा, तब कुछ मिलता ज्ञान,
विद्वजनों के योग से, लिया सदा संज्ञान | =…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 19, 2015 at 5:00pm — 8 Comments
हर द्वारे हम दीप जलाएं, उत्सव की हो शाम सदा
झूम झूम कर खूब नाचता, जंगल में है मोर सदा |
क्षण भंगुर ये जीवन अपना,
कर्म करे से सधता सपना |
रोने से क्या कुछ मिल पाए ?
आओ सब मिले हाथ मिलाएं, काम बाँटते रहे सदा,
हर द्वारे हम दीप - - - - - - - -
आतंक का मिल करे सामना,
रहे न ह्रदय में हीन भावना |
सबके सुख के दीप जलाएं
सब मिल डर को दूर भगाएं, ह्रदय भरे विश्वास सदा
हर द्वारे हम दीप - - - - - -- -…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 16, 2015 at 8:30pm — 6 Comments
समय चक्र को जानिये, समय बड़ा बलवान
कोयल साधे मौन जब, पावस का हो भान |
समय समय की बात है,समय समय का फेर
गीदड़ भी बनता कभी, कैसा बब्बर शेर |
सही समय चेते नहीं, समय गए पछताय,
पुनः मिले अवसर नहीं,जग में होत हँसाय |
अवसर तो सबको मिले, समझे जो संकेत,
इसको जो न जान सके, भाग्य कहे निश्चेत |
जिस पल साधे काम को, उस पल ही उत्कर्ष
सार्थक श्रम बदले समय, मन में होता हर्ष…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 11, 2015 at 5:32pm — No Comments
दोहा गीत -
रक्षा बंधन पर्व में,
दुनिया भर का प्यार
ऐसा पावन पर्व यह, है भारत की शान
सम्बन्धों की डोर का, बढे खूब सम्मान |
राखी धागे में बँधी, रक्षा की पतवार
बहन लुटाती भ्रात पर, दुनिया भर का प्यार
राखी धागा प्रेम का, बहना देती मान,
आत्महीन भाई वही दे न सके सम्मान |
रिश्ते ही परिवार में, जीने का आधार
भाई के उपहार में, दुनिया भर का प्यार
रक्षा बंधन पर्व में, छुपी खूब यह प्रीत
सबसे ऊपर…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 29, 2015 at 10:30am — 10 Comments
मातृ दिवस की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
जग की वह आधार (दोहें)
माँ ममता ही कोख में, सहती रहती पीर
माँ का जैसा कौन है, जिसमें इतना धीर |- 1
माँ ही ईश की प्रतिनिधि, देवी सा सम्मान
ब्रह्मा विष्णु महेश भी, करते है गुणगान |-2
उठते ही नित भोर में, माँ को करें प्रणाम,
माँ के चरणों में बसे, चारों तीरथ धाम | - 3
पलता माँ की गोद में, बालक एक अबोध,
माँ से ही होता उसे, सब रिश्तों का बोध | -…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 10, 2015 at 2:30pm — 12 Comments
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