परिचय करते वक्त ही, पहले पूछे नाम,
परिचय सुद्रड़ हो तभी, करे बात की काम॥
परिचय देवे पेड़ का, बच्चे को बतलाय,
इनके क्या क्या नाम है,अच्छे से समझाय
कन्द मूल खाकर रहे, वन में सीता राम,
चौदह वर्षों तक किया, पेड़ तले विश्राम ||
वृक्षों में मै पीपल हूँ, कृष्ण स्वयं बतलाय
वृक्षों में भी प्राण है, इसको वह समझाय ||
वटवृक्ष तले बैठकर, लिया बुद्ध ने ज्ञान,
पेड़ पौध सब सांस ले, गौत्तम दे संज्ञान
प्रभु कृपा से पेड़ मिले, ईसा का सन्देश,
रब दी छाया पेड़ से, नानक का उपदेश ||
कोंपल कुचले ना कभी, टहनी को मत तोड़,
तन-मन ताजा रह सके, इनसे नाता जोड़ ||
(मौलिक व् अप्रकाशित)
- लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment
नमस्कार आदरणीया ममता श्री जी, उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार
हार्दिक आभार स्वीकारे भाई श्री बृजेश नीरज जी
नमस्कार आदरणीय . बहुत ही सुंदर दोहें .. बधाई आपको
आपके इस प्रयास पर मेरी ढेरों बधाई!
दोहे की सार्थक अभ्व्यक्ति बताते हुए उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार श्री सुरेन्द्र वर्मा जी | सादर
दर्द पेड़ का देखकर, रविकर ने ली सीख
रविकर जैसे सब बने,कविवर मांगे भीख
बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण, सार्थक अभिव्यक्ति, बधाई.
जी आपने सही कहा विषम चरण में लघु गुरु की जगह गुरु गुरु हो गया, इसे संशोधित कर रहा हूँ | संज्ञान में लाने के लिए
आपका हार्दिक आभार आदरणीय
दोहे पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री आबिद अली मंसूरी साहिब | सादर
आपका हार्दिक आभार भाई श्री संदीप कुमार पटेल जी, सादर
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