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सत्ता मद में चाहिए, येन केन बस वोट,

गधे तो कहे बांप तो,उसमे क्या है खोट |                                                                                                                                                              

उसमे क्या है खोट, जो नित भार ही ढोता

सत्ता का वह मीत, बोलता  जैसे  तोता    

जीत पर बदल आँख,बता जनता को धत्ता,

नेता की क्या साख, मिले कैसें भी सत्ता |

(२)

गंगा जल में छुप गये,झट से भोले नाथ,

केदारनाथ धाम में, ढेरों  हुए  अनाथ |

ढेरों हुए अनाथ, प्रकृति तांडव के चलते

बहती अश्रु की धार,बहुत से प्राण सिसकते 

कैसे  नरसंहार, देखकर मन हो चंगा,

सतत बहे रसधार, रखो अब पवित्र गंगा |

(3)

सौदा कर ईमान का, बनते रहे अमीर

मरने के ही साथ में,दफन हुई तस्वीर,

दफन हुई तस्वीर,दिखती ना इतिहास में 

जिनका रहा जमीर,रहे न धन की चाह में

बिकता रहा गरीब, मिल धनवान ने रोंदा

बनने हेतु अमीर, करे जमीर का सौदा |

(मौलिक व् अप्रकाशित) 

 

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

 

 

 

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 27, 2013 at 10:59am

छंद पसंद आया आपको यह मेरा सौभाग्य है, हार्दिक आभार स्वीकारे आदरणीया कुंती मुकर्जी, एवं सुशीला शिवरण जी | सादर 

Comment by coontee mukerji on June 27, 2013 at 2:43am

गंगा जल में छुप गये,झट से भोले नाथ,

केदारनाथ धाम में, ढेरों  हुए  अनाथ |

ढेरों हुए अनाथ, प्रकृति तांडव के चलते

बहती अश्रु की धार,बहुत से प्राण सिसकते 

कैसे  नरसंहार, देखकर मन हो चंगा,

सतत बहे रसधार, रखो अब पवित्र गंगा .........सत्य है .......

Comment by sushila shivran on June 26, 2013 at 8:04pm

सामयिक और सशक्त 

जिनका रहा जमीर,रहे न धन की चाह में

बिकता रहा गरीब, मिल धनवान ने रोंदा

बनने हेतु अमीर, करे जमीर का सौदा |

बधाई आदरणीय

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 26, 2013 at 12:52pm

कुंडलियाँ छंद के भाव पसंद करने के लिए आपका आभार श्री राम शिरोमणि पाठक जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 26, 2013 at 12:49pm

जी, आदरणीय सौरभ जी, आदरणीया प्राची जी के शिल्प गत/गेयता सम्बन्धी सुझावानुसार प्रयास अवश्य 

करना मेरे हित में ही है | आपका हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 26, 2013 at 12:41pm

हार्दिक आभार श्री रविकर जी, -

स्वीकार आभार करे, या दे फिर आभार 

प्रतिक्रिया है आपकी, विशिष्ट रचनाकर  

Comment by ram shiromani pathak on June 26, 2013 at 12:41pm

बहुत सुन्दर भाव लिए दोहे //हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मन जी //सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 26, 2013 at 10:40am

शुक्रिया श्री अमन कुमार जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 26, 2013 at 10:37am

वर्तमान त्रासदी पर छंद रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आ. श्री विजय निकोरे जी, श्री अरुण कुमार "अनंत" जी,

एवं आदरणीया गीतिका "वेदिका "जी 

सादर |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2013 at 10:37am

आदरणीय, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाइयाँ. किन्तु जिन शिल्पगत दोषों को आदरणीया प्राचीजी ने साझा किया है उनकी तरफ़ मनोयोग से ध्यान देने की आवश्यकता है.

सादर

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