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छक्का मारा आज (ओ बी ओ की वर्षगाँठ पर)

छक्का मारा आज (16-11 मात्राएँ)
===========
छ वर्षों से बना हुआ है,जो सबका सरताज
ओबीओ के वेब पेज ने, छक्का मारा आज |

उत्सव हम सब मना रहे है,खिले प्रीति के रंग
काव्य सुधा रस मिले जहा पर, करे वहां सत्संग |

जाल बिछाया था बागी ने,योगराज का यत्न,
बिखेर रहे सौरभ भी खुश्बू,मना रहे सब जश्न |

काव्य गजल लघु कथा सभी में,बना दिया प्रतिमान
ज्ञान पिपासू शरण यहाँ ले, बढ़ा रहे सब ज्ञान |

भेद भाव को भूल भाल कर, करते सद्व्यवहार
साहित्य वृद्धि में योग सभी का, बना या आधार |

दूर देश से आते कविवर, बहती सुगंध बयार,
नई विधा से परिचय करते, सरस भाव आधार |

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2016 at 6:17pm

सही  कहा आपने आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी  जी  जो भी अल्प  ज्ञान मुज्झे हुआ  है  यही पर सीखा  है | इस सीखने सिखाने के अनूठे पथल को  छ  वर्ष  पूर्ण होने पर आपको हादिक बधाई एवं  रचना सराहने के लीये हादिक आभार  | सादर  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2016 at 6:05pm

ओ बी ओ  की वर्षगाँठ  पर  आपको भी  हार्दिक बधाई  श्री विजय निकोरे जी | रचना  सराहने के  लिए  हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2016 at 6:03pm

आप सभी बधाई के पात्र है आदरणीय सुशील सरना जी | रचना सराहने के लिए आपका हार्दिक  आभार 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 5, 2016 at 12:06am
नवांकुरों ने रस पी पीकर, विधा विधान सीखा,
गोष्ठियों महोत्सव को जीकर,
साहित्यिक सरीखा।

०००० बहुत बहुत बधाई और आभार आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए।
Comment by vijay nikore on April 3, 2016 at 3:33pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति । हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on April 2, 2016 at 9:23pm

वाह आदरणीय रामानुज जी वाह ... ओ बी ओ की कीर्ति को अपनी सरस काव्य प्रस्तुति से और भी सुरभित कर दिया है। ओ बी ओ के सम्मान में इस शानदार प्रस्तुति के लिए व्यक्तिगत रूप से मेरी बधाई स्वीकार करें।

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