For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छक्का मारा आज (ओ बी ओ की वर्षगाँठ पर)

छक्का मारा आज (16-11 मात्राएँ)
===========
छ वर्षों से बना हुआ है,जो सबका सरताज
ओबीओ के वेब पेज ने, छक्का मारा आज |

उत्सव हम सब मना रहे है,खिले प्रीति के रंग
काव्य सुधा रस मिले जहा पर, करे वहां सत्संग |

जाल बिछाया था बागी ने,योगराज का यत्न,
बिखेर रहे सौरभ भी खुश्बू,मना रहे सब जश्न |

काव्य गजल लघु कथा सभी में,बना दिया प्रतिमान
ज्ञान पिपासू शरण यहाँ ले, बढ़ा रहे सब ज्ञान |

भेद भाव को भूल भाल कर, करते सद्व्यवहार
साहित्य वृद्धि में योग सभी का, बना या आधार |

दूर देश से आते कविवर, बहती सुगंध बयार,
नई विधा से परिचय करते, सरस भाव आधार |

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2016 at 6:17pm

सही  कहा आपने आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी  जी  जो भी अल्प  ज्ञान मुज्झे हुआ  है  यही पर सीखा  है | इस सीखने सिखाने के अनूठे पथल को  छ  वर्ष  पूर्ण होने पर आपको हादिक बधाई एवं  रचना सराहने के लीये हादिक आभार  | सादर  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2016 at 6:05pm

ओ बी ओ  की वर्षगाँठ  पर  आपको भी  हार्दिक बधाई  श्री विजय निकोरे जी | रचना  सराहने के  लिए  हार्दिक आभार 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 5, 2016 at 6:03pm

आप सभी बधाई के पात्र है आदरणीय सुशील सरना जी | रचना सराहने के लिए आपका हार्दिक  आभार 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 5, 2016 at 12:06am
नवांकुरों ने रस पी पीकर, विधा विधान सीखा,
गोष्ठियों महोत्सव को जीकर,
साहित्यिक सरीखा।

०००० बहुत बहुत बधाई और आभार आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए।
Comment by vijay nikore on April 3, 2016 at 3:33pm

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति । हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on April 2, 2016 at 9:23pm

वाह आदरणीय रामानुज जी वाह ... ओ बी ओ की कीर्ति को अपनी सरस काव्य प्रस्तुति से और भी सुरभित कर दिया है। ओ बी ओ के सम्मान में इस शानदार प्रस्तुति के लिए व्यक्तिगत रूप से मेरी बधाई स्वीकार करें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
6 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service