होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाओं सहित प्रस्तुत -
कुंडलिया छंद
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होली का त्यौहार ये, लगता सदा बहार
भारत वासी मानते, सतरंगी त्यौहार,
सतरंगी त्यौहार, मनाते घर घर खुशियाँ
बजता ह्रदय मृदंग, रंग बरसाते हुरियाँ |
लक्ष्मण देखे लोग,बनाते अपनी टोली
जीजा साली संग, खेलते खुलकर होली |
(2)
होली में दिल खोलकर, करे आप सत्कार
घर में खुशियों के लिए,आया यह त्यौहार
आया यह त्यौहार, यहाँ पर सभी मनाते
फाग खेलते खूब, रास में चंग बजाते |
लक्ष्मण पीकर भंग, झूमती आती टोली
पावन ये त्यौहार, ह्रदय से खेलों होली |
(3)
होली के त्यौहार पर, भेद भाव सब भूल
हँसी ख़ुशी का पर्व यह, खिले दिलों में फूल,
खिले दिलों में फूल, खेलती सखी सहेली
दुल्हा दुल्हन संग, खेल भी बनी पहेली
जीजा साली आज, भरे खुशियों से झोली
मन के टूटे तार, ह्रदय फिर जोड़ें होली |
- लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
कुंडलिया छंद सराहने के लिए बहुत बहुत आभार आपका श्री सतविंदर कुमार जी
होली पर्व पर कुंडलिया छंद पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका आदरणीय डॉ.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी | साद्रर
बढ़िया रचना हुयी है आ० लक्ष्मण जी .
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