दोहा गीत -
रक्षा बंधन पर्व में,
दुनिया भर का प्यार
ऐसा पावन पर्व यह, है भारत की शान
सम्बन्धों की डोर का, बढे खूब सम्मान |
राखी धागे में बँधी, रक्षा की पतवार
बहन लुटाती भ्रात पर, दुनिया भर का प्यार
राखी धागा प्रेम का, बहना देती मान,
आत्महीन भाई वही दे न सके सम्मान |
रिश्ते ही परिवार में, जीने का आधार
भाई के उपहार में, दुनिया भर का प्यार
रक्षा बंधन पर्व में, छुपी खूब यह प्रीत
सबसे ऊपर प्रेम है, जग माने यह रीत |
झलके इस त्यौहार में, प्रेम प्रीत व्यवहार
राखी के दो तार में, दुनिया भर का प्यार
बहना हो कर्णावती, मिले हुमायूँ भ्रात
मुँह बोली बहना मिले,जात रहे ना पात |
जात पात को भूलता, रिश्तों का संसार
इस पावन सम्बन्ध में,, दुनिया भर का प्यार
इस पावन त्यौहार में, सूना रहे न हाथ,
जब तक सूरज चाँद है, रहे प्रेम का साथ,
सदियों से इस देश में, मना रहे त्यौहार
ज्योतिर्मय इस दीप में, दुनिया भर का प्यार
(मौलिक अप्रकाशित)
Comment
सही कहाँ आपने आदरणीया प्रभा पाण्डे जी | दरअसल पहली बार मेरी एकलौती बहन न होने पर भावों को रोक नहीं पाया और पाहे दोहे रच उन्हें गीत रचना में ढालकर पोस्ट किये | दोहे पर अंतिम दोहा बहन पर ही था -
आँखें मेरी नम हुई, बहना करूं प्रणाम,
बहना मेरी जा बसी,जहाँ ईश का धाम | -लक्ष्मण रामानुज
गीत रचना सराहने के लिए आपका हार्दिक आभार | सादर
राखी जैसे पावन और पवित्र प्रेम के त्यौहार का महत्त्व बताते हुए रचित दोहा गीत सराहने के लिए आपका ह्रदय से हार्दिक आभार आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी | सादर
हार्दिक आभार आदरणीया शशी बंसल जी
आदरणीय लक्ष्मण प्रसादजी, आपने दिल से इस दोहा-गीत की रचना की है. राखी केअवसर पर इस तरह की अभिव्यक्ति कई मायनों में महती हुआ करती है.
हार्दिक शुभकामनाएँ
रक्षा बंधन पर्व पर रचित गीत रचना सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री मिथिलेश वामनकर जी | सादर
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला सर बहुत सुन्दर दोहा गीत हुआ है. इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें। सादर
रक्षा बंधन पर्व पर रचित गीत रचना सराहने के लिए बहुत बहुत आभार आपका श्री समर कबीर भाई | आपको भी इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
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