For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रायश्चित

सेवा निवृति के 6 माह पूर्व सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए चंदा एकत्रित करने वाली विभागीय समिति को सहयोग करने हेतु कनिष्ठ अधिकारी शुक्ला को लगाया | एक जगह सी.बी.आई द्वारा रिश्वत के मामले में समिति के साथ ट्रैप होने पर उसे भी निलंबित कर दिया गया | सेवा निवृति पर न्यायालय से निर्णय होने तक देय परिलाभ रोक दिए गए | किसी के बताने पर वह एक पहुंचें हुए ज्योतिषी से मिला जिसने शुक्ला की व्यथा सुनाने के बाद बताया कि घर के देवी देवता नाराज है ? उन्हें मनाने का उपाय करना होगा | अपने माँ बाप या दादा दादी की सेवा में कोई कमी रही होगी जिससे वे अप्रसन्न है |

शुक्ला कुछ देर चुप रहने के बाद बोला – महाराज आप सत्य कह रहे है | मेरी वृद्ध दादी बिमारी के कारण  रातभर चिल्लाती थी, सोने नहीं देती थी | ऐसे हालात में दिवाली के पहले दिन मैं उसकी इच्छा के विरुद्ध मेरे भाई के घर छोड़ आया था | एक बात और, एक दिन उसके चिल्लाते रहने पर भाई के घर पर मैंने दादी के मुहं पर पट्टी बाँधकर उसका मुहं बंद कर दिया था | यद्यपि मेरे भाई ने ऐसा करने के लिए मुझे डाटा भी था | अब कई बार मुझे वो बात याद आती है तो आत्म ग्लानि होती है |

ज्योतिषी जी ने कहाँ – देखों शुक्ला जी, जब उस बात को याद कर आपका ही दिल कचोटता है तो सोचो आपकी इस कृत्य से आपकी दादी को कितना कष्ट हुआ होगा |

शुक्ला जी – तो महाराज अब क्या उपाय है जिससे उनकी आत्मा प्रसन्न हो सके |

“उनकी फोटो घर, प्रतिष्ठान पर लगाओं और प्रतिदिन माल्यार्पंण करों | माँ के श्राद्ध के दिन उन्हें कपडे पहनाओं कुछ दान करों | आपके माता पिता को कष्ट मत देना } शुक्ल ने कहा पिताजी तो स्वर्गवासी ओ गए माँ बड़े भाई के यहाँ रहती है | उन्हेया आप आदर भाव और खुशियाँ प्रदान करों उनकी तो सेवा करों | अब तो ये ही प्रायश्चित कर सकते हों |

शुक्ला ने ये बाते अपने बड़ें भाई को बताई तो भाई ने कहाँ – “अपनी आत्म संतुष्टि के लिए पंडितजी ने कहा वह करलो पर “ दादा दादी और माता-पिता की शिक्षाओं को याद कर उनपर अमल करते हुए उन्हें ह्रदय से आदर सम्मान देने से बड़ा अब कोई प्रायश्चित नहीं है” |

 

(मौलिक व् प्रकाशित)

Views: 560

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 3, 2016 at 3:06pm

आपकी प्रेरक टिपण्णी से मेरा प्रयास सार्थक हुआ लगता है आदरनीय राजेश कुमारी जी | सादर आभार आपका 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2016 at 3:42pm

लघु-कथा को प्रेरक बता उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक आभार आपका आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी  साहब 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 1, 2016 at 9:52pm

बहुत अच्छी संदेशपरक लघु कथा आद० लक्ष्मण लडिवाल जी हार्दिक बधाई 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 1, 2016 at 6:45pm
सुस्वागतम। काश अंतिम पंक्तियाँ ज्योतिष जी द्वारा कही जातीं! बेहतरीन भावपूर्ण प्रेरक रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी। जन-जागरुकता के लिए ऐसी रचनाओं का सृजन होते रहना चाहिए।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"जहां हम मिले थे, जहां से चले थेचलो वापसी उस डगर धीरे धीरे एक प्रभावशाली गजल हुई है आ. पूनम जी।…"
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई तिलकराज जी सादर अभिवादन। यह तरही से अलग है। इस पर आपसे मार्गदर्शन की अपेक्षा है। नेट की…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। मक्ता सुधारने का…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"तू पहले नदी  में  उतर धीरे-धीरेकटेगा तेरा फिर सफ़र धीरे-धीरे।१।*बहा ले न जाए सँभल तेज़…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"122 122 122 122  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे करेगी मुहब्बत असर धीरे धीरे 1 भरोसा नहीं…"
3 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सुलगता रहा इक शरर धीरे धीरे जलाता रहा वो ये घर धीरे धीरे मचाया हवाओं ने कुहराम ऐसा गिरा टूट कर हर…"
12 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"रदीफ़ क़ाफ़िया में तो ऐसा कोई बंधन नहीं है इसलिये आपका प्रश्न स्पष्ट नहीं है। "
12 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नमस्कारक्या तरही मिसरे में लिंग अनुसार बदलाव करसकते हैंक्यूंकि उसे मैं अपने अनुसार प्रयोग…"
13 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागत है।"
13 hours ago
Tilak Raj Kapoor commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"यह तरही के लिए है या पृथक से?"
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागतम"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )

११२१२     ११२१२       ११२१२     ११२१२  मुझे दूसरी का पता नहीं ***********************तुझे है पता तो…See More
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service