हिंदी दिवस की शुभ कामनाओं के साथ कुछ दोहे -
हमें बढ़ाना मान (दोहे)
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हिंदी में साहित्य का, बढ़ा खूब भण्डार
हम संस्कृति का देखते, शब्दों में श्रृंगार |
कविता दोहा छंद में, सप्त सुरों का राग
गीत गीतिका छंद में, भरें प्रेम अनुराग |
अपनी भाषा का सदा, उन्नत रखना भाल
हिंदी भाषा का नहीं, कोई यहाँ अकाल |
जन प्रतिनिधि रहते सदा,क्यों हिंदी से दूर
घर घर में जब बोलते, हिंदी में भरपूर |
भाषा की सम्पन्नता, है हिन्दी की शान
हिंदी में ही बोलकर, हमें बढ़ाना मान |
राष्ट्र संघ में बोलकर, दिखा चुके जज्बात ,
हीन भाव लाये बिना, हो हिंदी में बात |
भाषा की सम्पन्नता, इसकी अब पहचान,
जग की भाषा बन सके, इतनी क्षमतावान |
हिंदी का उत्सव मने, काव्य भरे आनंद
नवरस में पहचानते, हिंदी में ही छंद |
एक अरब समझें यहाँ,हिन्दी में संवाद,
करते साठ करोड़ है, हिंदी में फ़रियाद |
हृदय बसी हिंदी यहाँ,सुनों गान भरपूर,
सरल सहज हिंदी लगे, जनवाणी में नूर |
(अप्रकाशित एवं मौलिक)
- लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला
Comment
हिंदी दिवस पर रचित दोहें सराहने के लिए बहुत बहुत आभार आपका श्री डॉ. सुरेद्न्रा कुमार वर्मा जी | आपके सुंदर सुझाव - 'जन प्रतिनिधि रखते सदा,क्यों हिंदी को दूर' का स्वागत है |
प्रिय लडीवालाजी, आशाएं बांध रही हैं धीरे धीरे, पर मान बढना बाकी है, अच्छी रचना के लिए बधाई. आपकी इस पंक्ति 'जन प्रतिनिधि रहते सदा,क्यों हिंदी से दूर' को मैं यूँ कहना चाहता हूँ: 'जन प्रतिनिधि रखते सदा,क्यों हिंदी को दूर'
सादर आभार आपका श्री सुरेश कुमार कल्याण जी
हार्दिक आभार आपका आदरनीय Alka Changa जी
दोहो पर सुंदर बहुत बहुत आभार आपका श्री Sushil Sarna साहब | सादर
अति सुन्दर दोहे ..बहुत बहुत बधाई | सादर
दोहो पर सुंदर बहुत बहुत आभार आपका श्री समर कबीर साहब | सादर
हार्दिक आभार आदरणीया Meena Pathak जी
भाषा की सम्पन्नता, इसकी अब पहचान,
जग की भाषा बन सके, इतनी क्षमतावान |
हिंदी का उत्सव मने, काव्य भरे आनंद
नवरस में पहचानते, हिंदी में ही छंद |
हिंदी दिवस पर हिंदी के महत्त्व को दर्शाते इन अनुपम दोहों के लिए आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी दिल से बधाई स्वीकार करें।
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