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 सन्दर्भ :-रेल बजट 
-लक्ष्मण लडीवाला 
 
पवन एक्सप्रेस आ गई, लेकर के सौगात,
उम्मीदे हजार बढ़ी,  सुविधाओं की बात । 

 

सुनहरे स्वप्न  दिखाये, खूब जमायी थाप, 
जेब कटेगी रेल में,  जन जन को  संताप।
 
झुनझुना थमा हाथ में, मन मोहे सरकार,
देश पटरी पर  आवे,   फिर से दो सरकार। 
 
टिकट कटा यात्रा करे, रद्द करे नहि आप,
रद्द करे सचेत रहे , महँगाई   का  श्राप । 
 
टिकट संग पर्ची मिले, वैष्णो देवी जाय ,
टिकट कटा तीरथ करे,मन में भाव सजाय।
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला  

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 2, 2013 at 11:39am

हार्दिक आभार स्वीकारे श्री योगी सारस्वत जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 2, 2013 at 11:37am

प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार श्री अभिनव अरुण जी 

Comment by Yogi Saraswat on March 2, 2013 at 11:37am
पवन एक्सप्रेस आ गई, लेकर के सौगात,
उम्मीदे हजार बढ़ी,  सुविधाओं की बात । 

 

सुनहरे स्वप्न  दिखाये, खूब जमायी थाप, 
जेब कटेगी रेल में,  जन जन को  संताप।
badhiya , samsamayik
Comment by Abhinav Arun on March 1, 2013 at 10:09pm

     

क्या कहने इस सामयिकता के लिए हार्दिक बधाई श्री लक्ष्मण जी  !!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 1, 2013 at 10:06pm

हार्दिक आभार स्वीकारे श्री सलीम रजा भाई 

Comment by SALIM RAZA REWA on March 1, 2013 at 9:58pm

पवन एक्सप्रेस आ गई, लेकर के सौगातvaaaah ....laxman prasad ji rel bazaat meN bahut badiaa aapne likha hai badhai...

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 1, 2013 at 5:13pm
ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक आभार डॉ प्राची जी, इन्हें पोस्ट करने हेत सेव करने के बाद संशोधित करे का ध्यान आया देखे -
सुनहरे स्वप्न दिखाकर, खूब जमायी थाप, 
जेब कटेगी रेल में,  जन जन को  संताप।
झुनझुना थमा हाथ में, मन मोहे सरकार,
देश दौड़े पटरी पर,   फिर से दो सरकार। 
-
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 1, 2013 at 5:06pm

हार्दिक आभार और दोहे पर सुन्दर दोहे के लिए बधाई श्री रविकर जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 1, 2013 at 4:01pm

आदरणीय लक्ष्मण जी,

विषम चरण के अंत में शिल्प का पालन आपने इस बार भी कुछ जगह नहीं किया है...

कृपया एक बार पुनः जांच लें 

सादर.

Comment by रविकर on March 1, 2013 at 3:48pm

आभार आदरणीय अग्रज-

वारी जाऊं रेल पर, जय भारत की रेल |
कहीं चली छुक छुक करत, कहीं एक्सप्रेस मेल |
कहीं एक्सप्रेस मेल, पहुँचती नहीं समय पर |
हों रस्ते भर खेल, सफ़र नित करे हमसफ़र |
यात्री है हलकान, मुसीबत सब पर भारी |
मंहगाई ही बनी, सही में रेल सवारी ||

कृपया ध्यान दे...

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