For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

महिला दिवस पर रचित दोहे -


मही रूप देवी धरे, धैर्य गुणों की खान
साहस की प्रतिमूर्ति भी, नारी को ही मान | 

सृष्टि सृजनकर्ता यही,यही मही का अर्थ,
रणचण्डी भी बन सके, नारी सभी समर्थ ।

महिला से महके सदा,घर आँगन में फूल
वही सजाती घर सदा, मौसम के अनुकूल ।

जीवन के हर रूप में, नारी मन उपहार,
आलोकित जीवन करे, खुशियों के त्यौहार ।

घर की लक्ष्मी से सदा, सजता है घरबार,
घर आँगन इनसे खिले,इनसे सदा बहार ।

नारी का अपमान हो, सारे व्यर्थ विधान
मूक बने शासक जहाँ, बढे वही हैवान ।

नारी की ही कोख में,पूत रहे नो माह
नारी के सहयोग से,खुले जगत की राह ।

नारी करती नौकरी, उत्पीड़न को झेल,
समता के अधिकार में बाधक है यह खेल ।

दो मन है मन्दोदरी, करे पिया से प्यार
बचे नहीं सिंदूर तब,साजन का उद्धार ।

नारी तू अबला नहीं,अपनी ताकत जान
दोषी से कर सामना, पूरे कर अरमान ।


(मौलिक व अप्रकाशित)
- लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 16, 2017 at 12:04pm

उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत आभार आपका श्री महेंद्र कुमार जी | सादर 

Comment by Mahendra Kumar on March 14, 2017 at 9:38am
नारी को केंद्र में रखकर बढ़िया दोहे लिखे हैं आपने आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 10, 2017 at 1:20pm

 दोहों सराहने के लिए क्रिया जनाब मोहम्मद आरिफ साहब |

Comment by Mohammed Arif on March 9, 2017 at 6:52pm
आदरणीय रमानुज जी आदाब, नारी की गरीमा-गौरव को रेखांकित खरते आपके दोहों की जितनी प्रशंसा करूँ कम है । बधाई!बधाई!!बधाई!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
11 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service