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चार-पांच वर्ष का बच्चा प्रकाश मकान की दूसरी मंजिल पर छत पर खेलते हुए कटकर आई एक पतंग को लूटने के लिए बालकनी से खिड़की में झुका, तभी पाँव फिसलने से खडकी के बाहर छज्जे से लुडककर सडक पर गिरने लगा तभी सड़क पर दूर से देख एक व्यक्ति चिल्लाया “अरे ये बच्चा गिरा” |
उसी समय उस गली से ससुराल के मकान के नीचे से रोज की तरह गुजर रहे उसके पूपा भंवर जी ने राहगीर के चिल्लाने पर ऊपर झांकते हुए झट बच्चे को अपनी धोती की झोली में लपकने का सफल प्रयास किया | प्रकाश झोली में आकर गिरा पर झटके से झोली फटी और टांग सड़क से टकराई | पूपाजी तुरंत अस्पताल लेकर गए जहां एक्सरे कर डाक्टर साहब पूरी घटना सुनकर बोले “दो मंजिल से चार साल का बच्चा गिरकर भी बच गया और केवल पाँव की हड्डी में फ्रेक्चर हुआ है | केवल 15 दिन का प्लास्टर चढ़ेगा |”
तब तक प्रकाश के पिताजी आ गए और पूरी घटना सुनने पर उनके मुहँ से निकला “कहते है मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है | भंवर जी आज आप की वजह से बच्चे की जान बच गयी | भगवान ने आपको इसकी जान बचाने फ़रिश्ता बनाकर ही भेजा लगता है |
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2017 at 11:31am

लघुकथा सराहने के लिए हार्दिक आभार आदरनीया राजेश कुमारी जी | दरअसल ये घटना भी मेरे लघु भ्राता के साथ घटी ६५ वर्ष पूर्व की सच्ची घटना पर ही आधारित है | सादर नमन 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 3, 2017 at 11:27am

हार्दिक आभार जनाब मो. आरिफ साहब ! जब समारोह ३१ में शीर्षक "फ़रिश्ता" देखा तो पहले यही लघुकथा सृजित की थी जो मेरे लघुभ्राता के साथ आज से 65 वर्ष पूर्व घटित सच्ची घटना पर आधारित है | किन्तु बाद में सोचा "मारने वाले से बचाने वाला बड़ा" पर कहानिया आम हो चुकी है | यही सोच समारोह में त्वरित ही दूसरी लघुकथा"उपयोगी वेबसाईट" सृजित कर पोस्ट की |

सादर नमन 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 2, 2017 at 11:20am

बहुत अच्छी लघु कथा लिखी आदरणीय .एक बार जब मैं मुंबई में थी बिलकुल ऐसी ही घटना घटी थी आपकी लघुकथा को पढ़कर वो याद ताज़ा हो गई |बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by Mohammed Arif on November 1, 2017 at 8:26pm
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी आदाब, आपकी यह लघुकथा पढ़कर मुझे विश्वंभरनाथ शर्मा "कौशिक" जी की ताई कहानी याद आ गई । सच है बचाने वाला ही सबसे बड़ा होता है । सकारात्मक सोच की बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । थोड़ी सपाट बयानबाज़ी लग रही है ।

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