ये लो महारानी जी आज नदारद हो गयीं , इन लोगों के मिजाज का कोई ठिकाना ही नहीं है..सुबह सुबह "गौरम्मा" के ना आने से मन खिन्न हो गया , गौरम्मा हमारी काम वाली
हमेशा तो कह कर जाती थी , माँ ( दछिन भारत में येही संबोधन आदर में देते हैं ) हम कल नहीं आ पायेगा , मगर आज सुबह के ११ बज रहे हैं कोई खबर ही नहीं . दो तीन दिन से मैं उसे कुछ बुझी बुझी देख रही थी , मगर मेहमानों की व्यस्तता में उससे पूछने का ख्याल ही नहीं आया, मगर गौरम्मा अपना काम समय से अधिक कर के जाती थी.
दोपहर के बाद बिट्टू के स्कूल जाते ही मैंने अपनी दुपहिया उठायी और उसे देखने चल पडी, घर से थोड़ी ही दूर पर उसका घर था, मैंने दरवाजा खटखटाया , तपाक से उसने दरवाजा खोला और मुझे देखते ही मुस्करा दी. sorry माँ आज वो (पति) शबरी मलई गया (शबरी मलई - दछिन भारत का धार्मिक स्थल है, जहां जाने के लिए एक महीने तक नियम से साधू की तरह रहना पड़ता है -फिर उसकी यात्रा पर लोग जाते हैं ) इसीलिए उसका तैयारी में देर हो गया. खैर वो थोड़ी देर में घर आ गयी. और सारे काम फटाफट निपटा कर उसने दो कप कॉफ़ी बनाकर एक कप मुझे देकर खुद कालीन पर पैर पसार कर बैठ गयी,...मुझे भी उसे खुश देखकर खुशी होती थी .और क्यों ना हो करीब एक महीने से उसके चेहरे की चमक बढ़ गयी थी. शायद इसीलिए की पति अयप्पा स्वामी के दर्शन के लिए जा रहा था इसलिए उससे अच्छा व्योहार करता होगा, शराब छूने की मनाही होती है इस अनुष्ठान में...चलो कुछ परिवर्तन तो हुआ गौरम्मा की जिंदगी में.
जाने कितनी बार तो उसे इतनी मार पडी थी की उसकी कराह सुनकर मन रो पड़ता था, मगर मजाल है गौरम्मा ने कभी हार मानी हो, अपनी पांच साल की बेटी के लिए उसे मार खाकर काम करना मंजूर था मगर आराम करना नहीं, शायद ही कोई दिन ऐसा होता होगा जिस दिन उस पर हाथ नहीं उठाया जाता हो. उसकी हालत देखकर एक दिन मुझे कहना पडा , गौरम्मा तुम दूसरी शादी कर लो, अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है, मगर उसका जबाब,,,"याके माँ" बेरे जना के विश्वासे इल्ला " -क्यों माँ ? दूसरों का भी क्या विश्वास है इसतरह नहीं मारेंगे,,,
और एक हफ्ते की यात्रा के बाद उसका पति आज वापस आ रहा था, गौरम्मा बहुत खुश थी. मुझे भी आशा थी अब शायद उसके जीवन में परिवर्तन हो, उसे भी पति प्रेम का सुख मिल सके . दूसरे दिन गौरम्मा नहीं आयी, मैंने भी सोचा कोई बात नहीं शायद पति की सेवा सुशुश्रा में लगी होगी, लेकिन बुरी खबर ने तोड़ कर रख दिया. गौरम्मा अब नहीं है , पति ने आते ही शराब कुछ जादा पी ली और उसने गौरम्मा को इतना मारा की पड़ोसियों की मदद से अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में ही दम तोड़ दिया,.........ये परिवर्तन दुखद से भी दुखद,,,,,,मेरे पास शब्द ही नहीं बचे ,,,किसे दोष दूं उस अबला नारी को या उस पाशविक रूप वाले पुरुष को.,
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शराब का नशा....आजकल शिछा और बेरोजगारी के वाकये से परे हो चूका है, शहरों की रंगीनिया . दूरदर्शन में विज्ञापनों की आधुनिकता .फिल्मों के सन्देश .बाल्यावस्था से ही इस तरफ झुकाव ला देता है ....आज का युवा वर्ग इसे अपराध बोध से ग्रस्त नहीं मानता आधुनिक होने का दम भरता है...मैं नहीं मानती अगर इंसान की मेहनत और इमानदारी कहीं जाया होती है ,,मगर गलत आदतों के शिकार स्त्री और पुरुष,,,इसके वशीभूत होकर खुद को बर्बाद कर रहे हैं,,,,और धीरे ,,,गौरम्मा जैसी इस नशे की बलि चढ़ जाती है,,,,
Ji Rajeshh di maine is vishay par bahut likha hai.....facebook ke notes me ya mere blog me bahut saara isi vishay par maujood hai......subah subah office jaate huye sadkon par padey huye jism jinhen parivaar ki jimmedariyon ka koi sarokaar nahee hai, dekhkar koft hoti hai...sadar
सुमन मिश्र आपकी कहानी ने जिस तबके की तस्वीर खींची है उसको देख कर कभी कभी सोचती हूँ की यहाँ क्या कारण मुख्य है ,अशिक्षा ,बेरोजगारी ,निर्धनता ,किस्मत या शराब की लत मेरे भी जीवन में कितनी मेड आई और गई करीब सबकी कहानी एक जैसी, गरीबी तो मुख्य कारण है ही किन्तु जब गरीबी है तो घर में सब्जी नहीं लायेंगे बीच में उन पैसों की दारू पी जायेंगे तो लगता है शिक्षा की कमी है ये सब कारण भले ही एक साथ हैं पर सारा गुस्सा घरवाली पर ही क्यूँ उतारते हैं क्यूंकि वो एक स्त्री है सब सहन कर लेगी नहीं इन लोगों में मुझे मेल ईगो अधिक दिखाई देती है जो इनमे वंशानुगत दिखाई देती है स्त्री की सबसे ख़राब दशा इन्ही लोगों में अधिक दिखाई देती है,आपने कहानी के माध्यम से बहुत गंभीर मुद्दे पर प्रकाश डाला है।
shukrya shubhranshu ji
गौरम्मा अब नहीं है...........
कहानी ने एक एक परिस्थिति दर्शाना चाहा है.... एक विश्वास गौरम्मा पर, वो काम से जी नही चुराती है.. एक विश्वास गौरम्मा का अपने पति पर, वो ठीक हो जायेगा.... एक विश्वास गौरम्मा का दूसरे पुरुष पर, जो शादी के बाद उसे अवश्य मार सकता है.. एक विश्वास गौरम्मा का स्वामी अयप्पा पर, कि उनके दर्शन के बाद पति सुधर जायेगा..
उधर एक अविश्वास गौरम्मा के पति का स्वामी अयप्पा और गौरम्मा पर, सब करने के बाद भी सुधर नहीं पाया..
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