For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब हाथ उनका थाम लें

बचपन की देहरी लांघ कर
सच्चे हुए जज्बात जब
रस्ते जो थे अनजान तब
अब मंजिलों का नाम दें
अब हाथ उनका थाम लें .

जिनकी वजह जीवन मिला
इश्वर तुम्हारा शुक्रिया
अब कर्म की दुनिया में हम
अपना भी योगदान दें
अब हाथ उनका थाम लें

थोड़ी हंसी मासूम सी
मेरी वजह रंगीन सी
माँ से थी जिद्द थोड़ी सुलह
जीवन के मसले हल करें
अब हाथ उनका थाम लें.

सोचो जरा इस धरा का
सीने में कितने छेद हैं
रखती है सबको प्यार से
थोड़ा सा भी ना भेद है
अब माँ का कर्ज अदा करें
अब हाथ उनका थाम लें |

Views: 420

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 14, 2012 at 8:00pm

सोचो जरा इस धरा का
सीने में कितने छेद हैं
रखती है सबको प्यार से
थोड़ा सा भी ना भेद है
अब माँ का कर्ज अदा करें
अब हाथ उनका थाम लें |

सुमन जी, कितना अच्छा संदेश दिया है आपने!

काश इसे संसार में हर कोई सुने। बधाई!

विजय निकोर

 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 13, 2012 at 4:44pm

बहुत सुन्दर भाव भरी रचना पर बधाई आदरणीया सुमन जी


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 13, 2012 at 3:36pm

एक अनुरोध : कृपया हिंदी रचनाओं पर टिप्पणी और प्रतिउत्तर टिप्पणियों को अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग से बचे ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 13, 2012 at 3:34pm

एक वैचारिक और संदेशपरक रचना की प्रस्तुति है सुमन जी, बहुत बहुत बधाई ।

Comment by SUMAN MISHRA on December 13, 2012 at 1:39pm

thanks a lot my respected friends

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 13, 2012 at 1:34pm

सुमन जी बेहद सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें

Comment by Dr.Ajay Khare on December 13, 2012 at 1:32pm

bahut badia rachna badhai ki aap hakdaar he 

Comment by SUMAN MISHRA on December 13, 2012 at 12:05pm

thanks seema di

Comment by seema agrawal on December 13, 2012 at 11:00am

सोचो जरा इस धरा का
सीने में कितने छेद हैं
रखती है सबको प्यार से
थोड़ा सा भी ना भेद है
अब माँ का कर्ज अदा करें
अब हाथ उनका थाम लें |..........बहुत सुन्दर बात कही सुमन जी .......

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
yesterday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service