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पड़ोसी

वर्मा, हो शर्मा, हो सिंह, हो या जोशी
किस्मत से मिलते हे, सज्जन पड़ोसी
पड़ोसी भले हो, ये किस्मत का खेल
नहीं तो घर भी, लगता हे जेल
पड़ोसी से न करें कोई शरम
कुछ ऐसे निभाएं पड़ोसी धरम
पडोसी की सब्र से करें समीक्षा 
समय समय पर लेते रहे. अग्नि परीक्षा 
पड़ोसी के घर के सामने पार्क करे गाड़ी
बक्त बेबक्त उसे करते रहे काडी
समय असमय उसकी घंटी बजाएं
ऊलजलूल बातों से उसे पकाएं
देर रात संगीत से मचाएं कोहराम
कहे, हम हे देश की स्वतन्त्र आवाम
पड़ोसियों पर अपनी जमाये रहे धाक
बने रहे गंभीर करें न मजाक
पडोसी के जस्न में बने, बिन बुलाएँ मेहमान
बिपत्ति में, हो जाये अंतरध्यान
छत पर जाकर करें तांक झांक
ऊंची बनाये रखे, मोहल्ले में नाक
अपना घर,रखें साफ़ सुथरा
बगल में सरकाएं घर का कचरा
पालिए भोंकने बाला, एक श्वान
पड़ोसियों की करे जो नीद हराम
फोन पर जोर जोर से करें गाली गलौज
घर पर महफ़िल सजाएँ और करें मौज
धीरे धीरे प्रेम से,फिर आगे बड़े
शुबह उसी की चाय के साथ उसी का पेपर पढ़े
येशा पड़ोसियों से करोगे जतन
दूर से ही पडोसी आपको करेंगे नमन


Dr.Ajay Khare Aahat

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 17, 2012 at 9:50am

हास्य प्रधान रचना अच्छी लगी ऐसे पड़ोस में रहने से पहले सौ बार सोचना पड़ेगा 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 16, 2012 at 1:15pm

हाहाहा हास्य प्रधान रचना मेरी ओर से बधाई स्वीकारें, और आदरणीय बागी सर की बातों पर ध्यान दें


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2012 at 9:29am

हास्य प्रधान रचना पर आपका प्रयास अच्छा लगा , बधाई स्वीकार करें , रचना और कसावट की मांग करती दिख रही है |

Comment by Dr.Ajay Khare on December 15, 2012 at 5:40pm

aap sabhi bidhvano ko thanyabaad

Comment by Anwesha Anjushree on December 15, 2012 at 4:28pm
यहाँ तो है ज्ञान का भण्डार 
ज्ञान अर्जन को आउंगी बारम्बार ....उत्तम 
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 15, 2012 at 4:08pm

हाय राम गर ऐसे हों पडोसी
तो पडोसी खुद से पूछे कौन दोषी

मजाहिया मंजरकशी अच्छी लगी
बधाई आदरणीय

Comment by SUMAN MISHRA on December 15, 2012 at 3:41pm

kuch alag saa magar sajag saa.....kavitaa alag hat kar hai...bahut sunder ajay ji

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