पड़ोसी
वर्मा, हो शर्मा, हो सिंह, हो या जोशी
किस्मत से मिलते हे, सज्जन पड़ोसी
पड़ोसी भले हो, ये किस्मत का खेल
नहीं तो घर भी, लगता हे जेल
पड़ोसी से न करें कोई शरम
कुछ ऐसे निभाएं पड़ोसी धरम
पडोसी की सब्र से करें समीक्षा
समय समय पर लेते रहे. अग्नि परीक्षा
पड़ोसी के घर के सामने पार्क करे गाड़ी
बक्त बेबक्त उसे करते रहे काडी
समय असमय उसकी घंटी बजाएं
ऊलजलूल बातों से उसे पकाएं
देर रात संगीत से मचाएं कोहराम
कहे, हम हे देश की स्वतन्त्र आवाम
पड़ोसियों पर अपनी जमाये रहे धाक
बने रहे गंभीर करें न मजाक
पडोसी के जस्न में बने, बिन बुलाएँ मेहमान
बिपत्ति में, हो जाये अंतरध्यान
छत पर जाकर करें तांक झांक
ऊंची बनाये रखे, मोहल्ले में नाक
अपना घर,रखें साफ़ सुथरा
बगल में सरकाएं घर का कचरा
पालिए भोंकने बाला, एक श्वान
पड़ोसियों की करे जो नीद हराम
फोन पर जोर जोर से करें गाली गलौज
घर पर महफ़िल सजाएँ और करें मौज
धीरे धीरे प्रेम से,फिर आगे बड़े
शुबह उसी की चाय के साथ उसी का पेपर पढ़े
येशा पड़ोसियों से करोगे जतन
दूर से ही पडोसी आपको करेंगे नमन
Dr.Ajay Khare Aahat
Comment
हास्य प्रधान रचना अच्छी लगी ऐसे पड़ोस में रहने से पहले सौ बार सोचना पड़ेगा
हाहाहा हास्य प्रधान रचना मेरी ओर से बधाई स्वीकारें, और आदरणीय बागी सर की बातों पर ध्यान दें
हास्य प्रधान रचना पर आपका प्रयास अच्छा लगा , बधाई स्वीकार करें , रचना और कसावट की मांग करती दिख रही है |
aap sabhi bidhvano ko thanyabaad
हाय राम गर ऐसे हों पडोसी
तो पडोसी खुद से पूछे कौन दोषी
मजाहिया मंजरकशी अच्छी लगी
बधाई आदरणीय
kuch alag saa magar sajag saa.....kavitaa alag hat kar hai...bahut sunder ajay ji
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