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बदलते रिश्ते

बचपन की मेरी मेहबूबा
मिली मुझे बाजार में
मियां और बच्चों के संग
बैठी थी बो कार में
नजरे चार हुई तो बो
होले से मुस्कुरा पड़ी
उतर कार से झट फुर्ती से
सम्मुख मेरे आन खड़ी
स्पंदित हुआ तन बदन मेरा
पहले सा अहसास हुआ
सामने थी मेरे बो बाजी
हारा जिससे मुहब्बत का जुआ
किम्कर्ताब्यविमूढ़ खड़ा था में
ध्यान मेरा उसने खीचा
आओ मिलो शौहर से मेरे
आपके हे ये जीजा
दिल में मेरे मचा हुआ था
कोलाहल हंगामा
बच्चे मुझे पुकार रहे थे
मामा मामा मामा
बदल गए थे रिश्ते नाते
बदल गई थी सोच
में पेटेंट करा न पाया
जो मेरी ही थी खोज

Dr.Ajay Khare

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Comment

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Comment by अरुन 'अनन्त' on December 16, 2012 at 1:09pm

सर बढ़िया प्रस्तुति पर आदरणीय बागी सर की बातों पर जरा गौर फरमाइए ...


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 16, 2012 at 9:59am

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