एक्सचेंज मेला
दीपावली में खरीददारी की मची हुई थी जंग
खरीददारी करने गए हम बीबी के संग
बदला पुराना टीबी नया टीबी ले आये
दिल में कई बिचार आये
काश बीबी एक्सचेंज का कोई ऑफर पायें
नई नबेली बीबी घर ले आयें
इसी उधेड़बुन में हम सो गए
सपनो में खो गए
देखा शुभ मुहूर्त में थी खरीददारी की बेला
लगा था बीबी एक्सचेंज मेला
हमने दिया ईश्वर को धन्यबाद
मिल गई थी मन मांगी मुराद
तुरंत एक्सचेंज की शर्तें जानी
कविता ले जाओ बदलकर कहानी
आप भी मेले में किस्मत आजमायें
जो आपको पसंद करें उसे घर ले जाएँ
मेले में उड़ रही थी रंगीन तितलियाँ
दिल पर गिरा रही थी शौख बिजलियाँ
बीबी को चाहने बाले मिल गये पचास
शुबह तक न हमको किसी ने डाली घास
नए के चक्कर में पुरानी भी गई
ये सोचकर हमारी चीख निकल गई
मैना की चाह में बुलबुल उड गई
इतने में हमारी नीद खुल गई
पुरानी को पास पाकर मिला सुकून
नई बीबी का उतरा जूनून
नई बीबी का बिचार ख्याली
खटाऊ होती हे सात फेरेबाली
हैप्पी दिवाली हैप्पी दिवाली
Dr.Ajay Khare
738/5Vijaynagar Jabalpur
Mobile 989326923000
Comment
Sabhi budhjano ko hosla afjai heyu dhanyabaad
खटाऊ होती हे सात फेरेबाली ??? खड़ाऊं भी होती है !! अच्छा हुआ समय रहते चेत गए ,खैर हास्य रस का अच्छा रसास्वादन किया ।
सही समय पर आँख खुल गई
सर जी हेप्पी दीपावली टू यू
इस रचना के लिए बधाई की पात्र मैं mrs डॉ अजय खरे जी को मानती हूँ जिनकी वजह से आप इतने सच्चे और ईमानदार सपने देख पाते हैं :) :) :) :)
बहुत बहुत बधाई इस हास्य रचना के लिए
हाहाहा
सपनें नें आँखें खोल दीं. बधाई इस रचना पर आ. डॉ. अजय
आपका सपना सच नहीं हुआ इसलिए
हैप्पी दिवाली हैप्पी दिवाली
hehehehehe...too gud :)
Sharma ji dhnyabad
हाहाहा हास्यमयी सुन्दर रचना अजय सर बधाई स्वीकारें , ऐसे सपने दुबारा न देखें कहीं भाभी जी को पता चल गया तो आपकी खैर नहीं .....
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