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shukriya rajesh di
अब यादों की बदली से हम
भीग भीग कर सूख रहे हैं,
एक तुम्हारी चाहत ही है
जिसे अभी तक सींच रहे है---प्यारी पंक्तियाँ
sri shaindra ji shukriya aapka
अब यादों की बदली से हम
भीग भीग कर सूख रहे हैं, लाजवाब पंक्ति, बहुत ही सुंदर रचना हार्दिक बधाई स्वीकार करें
अन्जुश्री दी ,,आभार आपका
अरुण जी....बहुत बहुत शुक्रिया आपका...
आदरणीया सुमन जी मुझे रचना बेहद पसंद आई, बधाई स्वीकारें.
अब यादों की बदली से हम
भीग भीग कर सूख रहे हैं, लाजवाब पंक्ति.....
एक तुम्हारी चाहत ही है
जिसे अभी तक सींच रहे है वाह क्या बात है ...
साधना है, राह सरल नहीं, पथिक बने रहो।सुंदर
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