प्रेम की बात करते हो बड़े ही गर्व में रह कर
प्रेम जब हो गया तुमको पहन ली शर्म की चादर ||
जहाँ पर प्यार होता है वहां इनकार होता है
वहीँ इकरार की खातिर तड़पते हैं कई रहबर ||
गुरूर-ए -इश्क में रहना रिवाज -ए -हुस्न की फितरत
अदाओं की पनाहों में मिटे आशिक कई बनकर ||
तुम्हे मालूम है जब भी हमारा दिल धड़कता है
मुझे मालूम होता है तुम्हारी याद है दिलबर ||
हमारे इश्क की कहानी सच हो गयी होती
ज़माना साथ जो देता हमारा रहनुमा बन कर ||
कभी जो आईना देखो हमें भी सोच लेना तुम
हमारी चाहतों का अक्स बनता है वहां अक्सर ||
जुदाई के कई किस्से सुने हैं प्यार के दुश्मन
जहाँ की शाजिशों में दब गए लाखों फ़ना होकर||
हमारी याद में तुम थे कलम ने बात जब की थी
तुम्हे गर सच बताएं हम लिखा है याद में जलकर ||...............मनोज
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online