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विकास पथ पर छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़, देश का 26 वां राज्य है और यह प्रदेश 1 नवंबर सन् 2000 में अस्तित्व में आया। मध्यप्रदेश से अलग होने के बाद बहुमत के आधार पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता मिली और राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी बने। 2003 में जब छग में पहला विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा, सत्ता में आई तथा डा. रमन सिंह मुख्यमंत्री बने। इसके बाद दोबारा विधानसभा चुनाव 2008 में हुए, इस दौरान भाजपा फिर सत्ता में काबिज हो गई। इस तरह डा. रमन सिंह दोबारा मुख्यमंत्री बने।
अभी हाल ही में 1 नवंबर, 2010 को छत्तीसगढ़ ने 10 बरस पूरे किए। इस दौरान छग की राजधानी रायपुर समेत सभी 18 जिला मुख्यालयों में राज्योत्सव मनाया गया। राजधानी के महोत्सव में झारखंड और उत्तरांचल के मुख्यमंत्री भी षामिल हुए। राज्योत्सव के पहले मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने एक महत्वपूर्ण नारा दिया, वह है - विश्वसनीय छत्तीसगढ़। प्रदेश में 146 विकासखंड हैं और 11 लोकसभा क्षेत्र है। इसके अलावा 90 विधानसभा क्षेत्र हैं।
छत्तीसगढ़ के बाद झारखंड 7 नवंबर तथा उत्तरांचल, 11 नवंबर 2000 को क्रमषः 27 वां और 28 वां राज्य के रूप में देश में अस्तित्व में आया। अब तक हुए विकास की दृष्टि से देखें तो छत्तीसगढ़ इन दोनों राज्यों से कहीं आगे है। छत्तीसगढ़ और झारखंड, दोनों राज्य खनिज संपदा से भरपूूर है, बावजूद झारखंड का विकास का पहिया थमा रहा, इसका कई कारण है। हालांकि प्रदेश में लंबे अरसे तक रही राजनीतिक अस्थिरता के कारण झारखंड का विकास ठहर गया। उत्तरांचल में खनिज संपदा नहीं होने से यह राज्य भी छत्तीसगढ़ से पीछे है।
भविष्य में विकास की झलक छत्तीसगढ़ में देखें तो अपार संभावनाएं नजर आती हैं। हालांकि इस राज्य के विकास में नक्सली और भ्रष्टाचार की समस्या ही रोड़े साबित हो रहे हैं। नक्सली समस्या तो आज की स्थिति में राष्ट्रीय समस्या बन गई है, वही हाल भष्टाचार का भी है। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ को विकास की दिशा में देश में अव्वल बनाने के लिए, इन समस्याओं से निपटना जरूरी है। छत्तीसगढ़ के 10 बरस पूरे होने के पहले इस राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि यही रही है कि प्रदेश का विकास दर देश में सबसे अधिक रही। आशा यही है कि जो विकास दर है, वह आगे भी बनी रहे। फिलहाल देश में गुजरात, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों का नाम विकास के पैमाने पर लिया जाता है, लेकिन इस बात से नकारा नहीं जा सकता है, भविष्य छत्तीसगढ़ का है। वैसे देखा जाए तो इस नए राज्य की कई बाधाएं रहीं, जिसे प्रदेश ने पारकर विकास के नया आयाम स्थापित किया है। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय छत्तीसगढ़ के साथ जैसा सौतेला व्यवहार किया जाता रहा है, उसे शायद ही इस राज्य की जनता भूल पाएगी। यही कारण है कि लंबे अरसे से छत्तीसगढ़, अलग राज्य बनाने की मांग रही, जो 2000 के पहले और जोर पकड़ने लगी। छत्तीसगढ़ की खनिज संपदा का भरपूर दोहन कर, इस क्षेत्र के शहरों, कस्बों तथा गांवों के विकास में लगाने के बजाय अविभाजित मध्यप्रदेश के बड़े शहरों में उसका उपयोग किया जाता रहा। जब छत्तीसगढ़ बना, उस दौरान राज्य में किसी तरह का संसाधन नहीं था। हर जगह केवल कमियां ही कमियां थी। हालांकि बहुत कम समय में ही छत्तीसगढ़ ने विकास की राह पकड़ ली।
ऐसा नहीं है कि छत्तीसगढ़ ने विकास के सभी पैमाने पूरे कर लिए हैं, अभी तो यह शुरूआत है। छत्तीसगढ़ को विकास का अभी लंबा रास्ता तय करना है। इसके लिए प्राकृतिक रूप से मिले अकूत खनिज संपदा का ईमानदारी से दोहन करना होगा और उसे राज्य के विकास में लगाना होगा। तब कहीं जाकर यह 10 बरस का राज्य विश्वसनीय छत्तीसगढ़ के नाम से पूरे देश में जाना जाएगा।

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