For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक लड़की...तीन लड्डू! (लघु-कथा)

एक लड़की...तीन लड्डू! (लघु-कथा)

एक लड़की कुछ बड़ी हुई तो मिठाइयों से सजी दुकाने देखी | रंग-बिरंगी तरह तरह के लड्डू देख कर उसका मन मचलने लगा | कुछ सहेलियों के हाथ में लड्डू देख कर उसे भी लगा कि मेरे भी हाथ में लड्डू हो, और समय आ गया | उस लड़की के लिए भी एक अच्छा सा लड्डू उसके घरवालों ने पसंद किया, जो उसकी झोली में आ गिरा, लेकिन लड़की जब तक उस लड्डू को अपना कह पाती एक तूफ़ान आया और लड़की की झोली से लड्डू उड़ गया, हवा में विलीन हो गया। लड़की इधर उधर भाग कर उसे खोजने लगी । लोगों ने समझाया कि अब वह लड्डू नष्ट हो चुका है, रुआंसी घबराई सी लड़की अपनी जगह पर वापस आई, अपने आप को समझाया कि भाग्य नाम की भी कोई चीज होती है, कोई बात नहीं, और इंतज़ार करने लगी कि दूसरा लड्डू मिलें, कि अचानक एक लड्डुओं से भरा हुआ थाल सामने आया । आहा!  इसमें तो उसकी पसंद का एक मोतीचूर का लड्डू भी था, जिसकी चाहत उसे बरसों से थी, बस क्या था वह हाथ बढ़ा ही रही थी उसे लग रहा था कि बस! अब ये मेरा है, लेकिन कुदरत का खेल देखिए, फिर आंधी चली और वह मोतीचूर का लड्डू न जाने कहाँ खो गया, लेकिन इस बार लड़की घबराई नहीं और न ही उस मोतीचूर के लड्डू की तलाश में गई । वह मान गई थी कि भाग्य जैसी एक चीज जरुर होती है, उसने सामने नजर आ रहे थाल में से एक लड्डू फिर उठा लिया, यह बेसन का लड्डू उसका अपना था, लेकिन बहुत जल्दी आंधी थम गई और कहीं से वह मोतीचूर का लड्डू फिर सामने आ गया, मानों कह रहा था, ”मैं तुम्हारे लिए ही बना हूँ, मुझे उठा लो’’...लेकिन लड़की के हाथ में बेसन का उसका अपना लड्डू था और दोनों हाथों में लड्डू रखना उसके उसूलों के खिलाफ था ।

लड़की ने अपना बेसन का लड्डू संभाला और आँखें फेर ली, लेकिन कभी कभी उसे लगता है उसने अपने मन पसंद मोतीचूर के लड्डू की तरफ से आखें फेर कर अच्छा नहीं किया, न जाने आज वह किसके हिस्से का होगा और कहाँ होगा ?

काश ! कि उसका अता पता मिलें,वह एक बार नजर तो आए ।

Views: 519

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aruna Kapoor on March 6, 2013 at 4:58pm

हार्दिक आभार डॉ.प्राची जी!...बहुत अच्छा  लगा कि यह लघुकथा आपको  पसन्द आई!..लड्डू को इंगित माध्यम बना कर ही मैने लघुकथा को प्रस्तुत किया है!...धन्यवाद!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 6, 2013 at 4:39pm

बहुत सुन्दर .... 

लड्डू को इंगित माध्यम बहुत ही सटीक तरह से बनाया गया है. 

मज़ा आ गया यह लघु कथा पढ़ कर.

हार्दिक बधाई 

Comment by Aruna Kapoor on March 6, 2013 at 11:59am

हर्दिक आभार विजय निकोरे जी!...कि आपको यह भावपूर्ण लघुकथा पसन्द आई!

Comment by vijay nikore on March 6, 2013 at 12:50am

आदरणीया अरुणा जी:

 

भाग्य क्या है, क्या नहीं है...!

हम इन ख़यालों में कितनी बार कैसे खो जाते हैं!

आपकी यह लघु कथा यह सोचने पर बाधित कर रही है।

 

बधाई।

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, कुछ और प्रयास करने का अवसर मिलेगा। सादर.."
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या उचित न होगा, कि, अगले आयोजन में हम सभी पुनः इसी छंद पर कार्य करें..  आप सभी की अनुमति…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय.  मैं प्रथम पद के अंतिम चरण की ओर इंगित कर रहा था. ..  कभी कहीं…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
""किंतु कहूँ एक बात, आदरणीय आपसे, कहीं-कहीं पंक्तियों के अर्थ में दुराव है".... जी!…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"जी जी .. हा हा हा ..  सादर"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य आदरणीय.. "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी  प्रयास पर आपकी उपस्थिति और मार्गदर्शन मिला..हार्दिक आभारआपका //जानिए कि रचना…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन।छंदो पर उपस्थिति, स्नेह व मार्गदर्शन के लिए आभार। इस पर पुनः प्रयास…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। छंदो पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन।छंदों पर उपस्थिति उत्तसाहवर्धन और सुझाव के लिए आभार। प्रयास रहेगा कि…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"हर्दिक धन्यवाद, आदरणीय.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह वाह ..  दूसरा प्रयास है ये, बढिया अभ्यास है ये, बिम्ब और साधना का सुन्दर बहाव…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service