कवि का प्यार
जब एक कवि को हुआ, कवियत्री से प्यार
दिलो जान से उस पर हुआ निसार
कवि का एकतरफा दिल, गया मचल
हास्य छोड़कर, वो लिखने लगा गजल
गजल लिखकर कवियत्री को पोस्ट करने लगा
जिस कवि सम्मेलन मै कवियत्री हो, उसे होस्ट करने लगा
कवि सम्मेलन मै कवियत्री आये
इस चक्कर मै उसने अनेक कवि सम्मेलन अपनी जेब से करवाये
कवि उस पर बुरी तरह मरने लगा
उसकी कविता पर कुछ ज्यादा ही बाह बाह करने लगा
उनका सानिध्य पाने की हर कोशिश करता
किन्तु आई लव यू कहने से डरता
उसके उपक्रम से कवियत्री को हुआ भान
कवि की भावनाओं को दिया पूरा सम्मान
कवियत्री ने भविष्य की संभावनाओ से उन्हें डराया
वस्तुस्तिथि से अवगत कराया
आपको मुझसे हुआ प्यार
आपका आभार
ये बात आपके दिल मै आई
मै न दूंगी बधाई
चाहे आपको हो बिषाद
कहूँगी मै न इरशाद
क्योंकि जब समान आवेशित पिंड टकराते है
तो तबाही लाते है
अतः आप अपनी सोच को दें बिराम
अन्यथा हमारा जीना होगा हराम
आप है श्रेष्ठ कविबर
न बने कवियत्रीबर
अनर्गल बातें दिल मै, न लाइये
हमारी नई कविता का लुफ्त उठाइये
Dr.Ajay Khare Aahat
Comment
वाह!..वाह!...कमाल कहर ढाया है आपने कवितामें डॉ.अजय खरे जी!...कवियित्री का जवाब तो लाजवाब है!....हार्दिक बधाई!
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